माना की यह संसार हमारा है
जीने का आधार हमारा है
जहाज में संसार सागर के हम
वृहद की सैर करते हैं ...
यह तो बहुत ही न्यारा है
दृश्य बहुत ही प्यारा है
नदियों में प्रवाहित कल- कल जल है
आकाश भी सुनाता कहानी है
टिमटिम चमकते सितारे हैं
कहते कुछ जुबानी हैं
वृक्षों की ऊंची कतारें हैं ,
मीठे फलों का अमृत है
खेतों में अन्न की खेती है
जीविका की अद्भुत कहानी है
जीवन को सारे साधन हैं
मुस्कराने को प्रकृति प्रफुल्लित है ...
महकाने को सुगन्धित पुष्प हैं
पर्वतों की ऊंची चोटियों में
श्वेत हिम की चादर है ..स्वर्णिम श्वेत किरणों से
भव्यतम, अद्भुत दृश्यम है
सोचने को सुन्दर सपने हैं
जाना की संसार हमारा है..
जीने का आधार हमारा है
वाह! रितु जी ,बहुत खूब।
ReplyDeleteनमस्कार शुभा जी
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