रुके रहने से बेहतर है चलना
मैं पैदल चला हूं
चल रहा हूँ खुश हूं
नहीं दौड़ना मुझको
पैदल ही चलना मंजूर है मुझको
पग- पग रास्ते नापना अच्छा लगता है
जल्दी किस बात की.
थोड़ा रुककर सफर का आनन्द लेना भाता है मुझको
भागना क्यों? आगे बढने की इतनी जल्दी नहीं
वक्त तो बढ ही रहा है. उसे कौन रोक पाया है
हम तो रुक सकते हैं ना.. माना की सांसो की गिनती चल रही है
जो पल मिले हैं उन्हें तो आनन्द से जी लें
कहीं आवश्यकता से अधिक रफ्तार से चलने में
जो पल वर्तमान मे मिला है वो भी ना गवां बैठे
आगे क्या होगा ज्ञात नहीं, आगे बेहतर होगा उत्तम है
परन्तु वर्तमान में जो है वो सर्वोत्तम है
फिर क्यों ना पैदल चल लूं और पल- पल का आन्नद लूं
पैदल चल रहा हूं, आंखो में पट्टी बांधकर नहीं भागना मुझे
पैदल हूं, चल रहा हूं, रुका नहीं हूं खुश हूं..
की तरल हूँ पाषाण नहीं...
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