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राधा प्रेम कृष्ण कर्तव्य




सुनों री सखियों - सुनों री सखियों - -
आंखें मूंदों तो बुझो पहेली - - 
एक गोपी फट से बोली- - क्यों कर हमें उकसाती हो - - जो हिय में है - - क्यों ना फट से बताती हो - -
गोपी - - बोली, बताती हूँ - बताती हूँ - हिय की पीड़ा जाताती हूं।
नटखट है- वो बड़ा ही नटखट - - पहुंच गया आज फिर पनघट.. मैं भरती थी - यमुना से गागार.. मारी कंकडीया गगरी फोडी.. चुनरिया झीनी हो गयी गीली.. मैं भी हुई पानी-पानी - - घाघरा चोली बंसती पीली - - गालों पर छा गयी लाली-- आठ बरस का नटखट कान्हा - - सारा नन्द गांव उसका दीवाना - - 
माखनचोर,,नन्द किशोर - - - मनमोहन 
बड़ा ही चितचोर 
गोपियों का प्यारा कान्हा - - 
 कृष्ण प्रेम में राधा ही कान्हा - -
कान्हा ही राधा 
सांय काल यमुना के तीरे 
तिरछी कमरिया,पीला पटका 
सिर मोर मुकुट भी अटका - - 
बंशीधर जब साजे अधरों पर बंशी - - 
हिय प्रेम का सागर - - सागर से भर -भर गागर अधरों पर बाजे - - मधुर ध्वनि राग रागिनी गोपियां सुध-बुध भूल सब भागे ---

पायल मधुर साज बाजे, धेनु पद-चाप ढोलक की थाप- एकत्रित नंदगाव यमुना के तीरे.. 
कान्हा ही राधा, राधा ही कान्हा 
राधा प्रेम कृष्ण कर्तव्य 
रुप दो स्वरूप एक 
हिय उठें जब प्रेम रस की लहरें 
बंशी अधर हिय अमृत रस बरसे 
पवित्र प्रेम की अमिय धारा 
राधा के कृष्णा, कृष्णा की राधा - - .. 
सब हुये कृष्णा के सहारे
कृष्ण ही अब आधार हमारे..
राधा प्रेम - कृष्ण कर्तव्य
राधा कृष्ण आधार हमारे - - 

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