खुदा हो जाता है शायद इसीलिए सबसे
जुदा हो जाता है ।
मैं मोहब्बत हूँ
किसी भी मनुष्य का मूल स्वभाव हूँ "
मैं मोहब्बत एहसासों में जज़्बातों में रहती हूँ
मोहब्बत का कोई मजहब नहीं
मोहब्बत तो हर दिल की भाषा है ❤️
शब्द नहीं ,अर्थ नहीं ,
उम्र नहीं बन्धन नहीं
रिश्तों की मोहताज नहीं
उपहार नहीं ,व्यापार नहीं
भावों में जज़्बातों में
मैं मोहब्बत हूँ ,मैं किसी भी
मनुष्य का मूल स्वभाव हूँ
जीवन की दौड़ में मोहब्बत वो दवा है
जो हर रिश्ते पर मरहम लगा उसको सवाँरती है ।
जो हर रिश्ते पर मरहम लगा उसको सवाँरती है ।
कुछ तो विषेश है तुममें
जिसने देखा अपना रब देखा तुममें
ए चाॅद तुम तो एक हो
तुम्हें चाहने वालों ने जाने क्यों
अलग-अलग किया खुद को
ए चाॅद तुम किस-किस के हो जिसने देखा जिधर से देखा
तुमको अपना मान लिया
नज़र भर के देखा, तुमने ना
कोई भेदभाव किया समस्त
संसार को अपना दीदार दिया तुमने
संसार में सभी को नज़र आते हो
पूर्णिमा का चांद हो
सुहागन का वरदान
यश कीर्ति सम्मान हो
करवाचौथ का अभिमान
भाईदूज का चांद हो
ईद का पैगाम हो
सौन्दर्य की उपमा हो
चाहने वालों का सपना हो
ए चाॅद तुम हर इंसान के हो
हिन्दुओं के भी हो मुस्लिमों के भी हो
ए चाॅद तुम जो भी हो विषेषताओं का भण्डार हो
किसी के भी सपनों का आधार हो ।
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