शौक अपने - अपने सपने अपने - अपने जीने के ढंग अपने-अपने सोच अपनी -अपनी कहानी अपनी-अपनी उड़ान अपनी-अपनी मेहनत अपनी-अपनी दायरे अपने-अपने इरादे अपने - अपने तराने अपने - अपने बहाने अपने - अपने निशाने अपने - अपने पसंद अपनी-अपनी खुशी अपनी - अपनी अफसाने अपने-अपने फितरत अपनी-अपनी क्यों ना हों,आखिर जिन्दगी है सबकी अपनी अपनी जिन्दगानी अपनी-अपनी जीने के ढंग अपने-अपने भरने हैं पसंद के रंग अपने-अपने।।
देव दीपावली धरती अम्बर से जगमगाते सितारों सी खिली ईगास... पहाड़ी इलाकों का दीपोत्सव.. श्री राम सीता एवं लक्ष्मण आगमन की खबर जो शहरी इलाकों की अपेक्षा पहाड़ इलाकों में कुछ दिन बाद मिली.. विषेशतया उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में इसे ईगास.. बूढी होती दीपावली कहकर सम्बोधित करते हुये दीपावली का त्यौहार मनाया गया..और यह परम्परा तभी से मनायी जाती है।