Skip to main content

Posts

अक्सर दुआओं में कहता है ये मन

 अक्सर  दुआओं में कहता है यह मन  थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये   एक दूजे शुभचिंतक बन जाये  ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन   फिर क्यों ना पुष्पों सा जीवन बिताएं हम  फलदार वृक्ष बन जायें हम नदियों का जल बन जायें हम ..  आंगन की शोभा बन बागों की रौनक बढायें हम  हवाओं में घुल- मिल सुगन्धित संसार कर जायें हम अक्सर दुआओं में मागता है यह मन  खुशियों से मालामाल रहे सबका जीवन   आप भी मुस्कराये हम भी मुस्करायें  बागों में फिर  से बहार  आये  जीने की अदा सबको सिखाये  बगीचों की शोभा बन हर एक के चेहरे  पर रौनक ले आये हम..परमपिता की दिव्य दृष्टि का प्रसाद निरंतर पाये हम  खुश रहें आप और हम  सफर पर हैं हम ना जाने कब जाना हो मगर   जब तक है जीवन कुछ जीवन जीने की  बातें कर लें आप और  हम  सफर में यादों के कैनवास पर बेहतरीन  सुन्दर आकर्षक चित्र  ही उतारें हम .. बेहतरीन यादों का कारवां तैयार  करें हम  अक्सर दुआओं में कहता है यह मन  थोङा आप मुस्कराओ ...
Recent posts

उम्मीद

 उम्मीद से हौसला बढता है,  हौसलों से साहस, साहस से  आत्मविश्वास जन्म लेता है ..  वही आत्मविश्वास असंभव को  सम्मभ करने की क्षमता रखता है।  छोटी-छोटी किरणों से मन में आशाओं के नये दीप जलते हैं  जग भले ही रोशन ना हो तत्काल  मन उम्मीद के नये उजालों से भर  जाते हैं .. उन उजालों की किरणों से,  जग रोशन हो जाता है।  एक उम्मीद ही तो है. जो चीटियों  को पहाड़ पर चढने को प्रेरित करती है  उस उम्मीद की किरणों से आशा का एक दीप  हौसलों का भव्य आसमान  तैयार करता है और फिर कहीं  जाकर आकाश में असंख्य  तारे जगमगाते हैं... अपने  अस्तित्व पर मुहर लगाते हैं।।। 

आग और धुआं

  सकारात्मक संकल्प के दीपक का प्रकाश का पुंज  लिहोता है एक कवि ।  निराशा में आशा की  मशाल लेकर चलता है  एक कवि  उम्मीद की नयी किरणें  सकारात्मक दिव्य प्रकाश  के दिए जलाते चलो माना की तूफ़ान तेज है तिनका -तिनका बिखरो मत उन तिनकों से हौसलों की बुलन्द ढाल बनाते चलो माना की घनघोर अंधेरी रात है नाकारत्मक वृत्तियों से लड़ते हुए सकारात्मकता का चापू चलाते चलो संघर्ष के इस दौर में हौसलों के महल बनाते चलो राह में आने वालों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते चलो। हर घर में रोज जले बरकत का चूल्हा  प्रेम ,अपनत्व का सांझा चूल्हा **  मां तुम जमा लो चूल्हा  मैं तुम्हें ला दूंगा लकड़ी  अग्नि के तेज से तपा लो चूल्हा,  भूख लगी है ,बड़े जोर की  तुम मुझे बना कर देना  नरम और गरम रोटी।  मां की ममता के ताप से  मन को जो मिलेगी संतुष्टि   उससे बड़ी ना होगी कोई  खुशी कहीं ।  चूल्हे की ताप में जब पकता  भोजन महक जाता सारा घर * हर घर में रोज जले बरकत  का चूल्हा ,प्रेम प्यार का सांझा चूल्हा * *अग्नि जीवन...

भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...

उद्देश्य होना जरुरी है

 उद्देश्य से ही जीवन का अर्थ है, बिना उद्देश्य जीवन व्यर्थ है।  उद्देश्य ही जीवन का माध्यम है, उद्देश्य से जीवन सुगम्य है। उद्देश्य के रस ने जीवन में रस घोला  मन के सभी गुण दोष भीतर से बोला।  उद्देश्य जीवन को धारा प्रवाह देता है। उद्देश्य ही जीवन का औचित्य बताता है।  विषय का चयन मनुष्य जीवन के चरित्र को दर्शाता, विषय ही मनुष्य जीवन के अर्थ को बतलाता। शुभ विषय मनुष्य जीवन का उद्धार करता अशुभ विषय वहीं पाताल की ओर धकेलता।  शुभ विषय मनुष्य को सही राह दिखाता दुविधाओं से लड़ आगे बढ़ने की राह दिखाता। किस मनुष्य ने किस विषय का चयन किया  उसके चरित्र का दर्पण बोलता. फिर दर्पण ही जीवन के सच के रहस्य खोलता। 

उत्तराखंड

 शीर्षस्थ भव्य वृहद शिरोमणी  उत्तराखंड भारत का सरताज  प्राकृतिक सम्पादकों के उत्खनन  विषम उपयोगी जडी बूटियों की प्रचुरता   स्वास्थ् समृद्ध जीवन का आगाज  गंगोत्री ,यमुनोत्री का उद्गम स्थल  पवित्रीकरण का दिव्य आशीर्वाद  केदारनाथ, शिव का वास  नीलकण्ठ महादेव हरते  कष्ट, व्याधि ,अपराध  बद्रीनाथ, विष्णु अवतार  शंखनाद उड़ान भरते पक्षी आजाद  उत्तराखंड की भव्य समृद्धि का राज  वेद ऋचाओं के होते संवाद  उत्तराखंड भारत का दिव्य आगाज .

चिराग हूं फितरत से

  चिराग था फितरत से** *******चिराग था फितरत से               जलना मेरी नियति                मैं जलता रहा पिघलता रहा                जग में उजाला करता रहा                मैं होले_होले पिघलता रहा                जग को रोशन करता रहा *****                "जब मैं पूजा गया तो ,                 जग मुझसे ही जलने लगा ,                 मैं तो चिराग था ,फितरत से              ...