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भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...
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उद्देश्य होना जरुरी है

 उद्देश्य से ही जीवन का अर्थ है, बिना उद्देश्य जीवन व्यर्थ है।  उद्देश्य ही जीवन का माध्यम है, उद्देश्य से जीवन सुगम्य है। उद्देश्य के रस ने जीवन में रस घोला  मन के सभी गुण दोष भीतर से बोला।  उद्देश्य जीवन को धारा प्रवाह देता है। उद्देश्य ही जीवन का औचित्य बताता है।  विषय का चयन मनुष्य जीवन के चरित्र को दर्शाता, विषय ही मनुष्य जीवन के अर्थ को बतलाता। शुभ विषय मनुष्य जीवन का उद्धार करता अशुभ विषय वहीं पाताल की ओर धकेलता।  शुभ विषय मनुष्य को सही राह दिखाता दुविधाओं से लड़ आगे बढ़ने की राह दिखाता। किस मनुष्य ने किस विषय का चयन किया  उसके चरित्र का दर्पण बोलता. फिर दर्पण ही जीवन के सच के रहस्य खोलता। 

उत्तराखंड

 शीर्षस्थ भव्य वृहद शिरोमणी  उत्तराखंड भारत का सरताज  प्राकृतिक सम्पादकों के उत्खनन  विषम उपयोगी जडी बूटियों की प्रचुरता   स्वास्थ् समृद्ध जीवन का आगाज  गंगोत्री ,यमुनोत्री का उद्गम स्थल  पवित्रीकरण का दिव्य आशीर्वाद  केदारनाथ, शिव का वास  नीलकण्ठ महादेव हरते  कष्ट, व्याधि ,अपराध  बद्रीनाथ, विष्णु अवतार  शंखनाद उड़ान भरते पक्षी आजाद  उत्तराखंड की भव्य समृद्धि का राज  वेद ऋचाओं के होते संवाद  उत्तराखंड भारत का दिव्य आगाज .

चिराग हूं फितरत से

  चिराग था फितरत से** *******चिराग था फितरत से               जलना मेरी नियति                मैं जलता रहा पिघलता रहा                जग में उजाला करता रहा                मैं होले_होले पिघलता रहा                जग को रोशन करता रहा *****                "जब मैं पूजा गया तो ,                 जग मुझसे ही जलने लगा ,                 मैं तो चिराग था ,फितरत से              ...

सूक्ति

सूक्ति बनों जीवन की ऐसी   हठ,निंदा ईर्ष्या मानों अपराध  त्याज्य हो व्यर्थ पदार्थ  आवयशकता बनो एसे किसी की   तन लागे औषधि जैसी व्याधि पीड़ा बन उपचार  उपकारी जीवन सद्व्यवहार  दुरूपयोग ना कर पाये कोई  उपयोगी समझ पूजे प्रत्येक  इस सृष्टि में है रंग अनेक  पर रंग लहू का सबका एक  फिर काहे का रंग भेद  सूक्ति एक जीवन में यह भी अपनाओ  रंग भेदभाव का भेद मिटाओ।  परस्पर प्रेम की फसल उगाओ। 

अनुगामी

अनुगामी हूं सत्य पथ का  अर्जुन सा लक्ष्य रखता हूं  माना की है संसार समुंदर  तथापि मुझे सरिता ही बनना है  गंगाजल सम अमृत बनकर  जनकल्याण ही करना है।  अनुसरण करुं प्रकृति का मैं तो  व्यग्र तनिक ना अंधड़ से होना है।  कल्प तरु सम उन्नत बनकर  हर क्षण समृद्ध रहना है. अनुगामी हूं श्रीराम राज का  मर्यादा का अनुसरण करना है।  पथगामी हूं साकारात्मकता का  नाकारात्मकता में नहीं उलझना है।    
हिय पयिस्वनी एक आग धधकती  लहरे तट आकर मचलती  जज्बात जलजला चक्रवात लाता  छिन्न - भिन्न परिवेश कर जाता ख्याल मंथन परिक्षा दौर चलाता चित्त विचलित दूरभाषी बनकर  पन्ने पलट तहें खोलता रह जाता   अमूर्त सब मूर्त बनकर  परिदृश्य भूतकाल दोहराता  कुछ सीख सबक दे जाता  चंचल मन चित को समझाता  चिंगारी,तिलमिलाती दिल जलाती ।  तरंगें व्याकुल कर हिय तूफान मचाती  कर्मों की खेती मनचाही फसल उग,  भद्दे रंग भर अब क्यों रोता  आभामंडल रंग अलबेले  प्राणी तू प्रिय रंग ही लेना  अपने कैनवास में चित्र बनाना।  जलन धधकती है अंगारों सी  जाने वो कौन सी चाहत है,जो अधूरी सी है।   अद्भुत आभामंडल रंग अलबेले हैं  रंग प्रेम भर मन और लगा जंदरा  शहर कैसा हर शक्स चातक सा  है ओढ़ अमीरी चोला, इसांन बहुत अक आकांक्षा घनिष्टता की,देने को गैरियत ही क्यों है  पूर्णता को भटकता ये मानव अपूर्णता की फितरत करता क्यूँ है।    एक कसक की कैसी ठसक है, दिल  कहानी है तुमको मैंने सुनानी  मेरी कहानींॉ तुम्हारी कहा...