Skip to main content

जीतना सीखे

 

*** स्वस्थ मन****

           कहते हैं स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होता, निसंदेह सत्य भी है। आज के आधुनिक युग तन के स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है, जैसे  योगा, व्यायाम  आदि सही भी है। 
 आजकल कई तरह की फिटनेस क्लासेस भी जलायी जा रही हैं.. बैलेंस डाइट पर भी जोर दिया जा रहा जो निसंदेह अति उत्कृष्ट कार्य है।

लेकिन आज की भागती-दौड़ती जिन्दगी मनुष्य अपने दिलों दिमाग पर एक प्रेशर लेकर जी रहा है। दिमाग में बहुत बोझा है लिए जिये जा रहा है , पूछो तो कहते अपने लिए समय कहाँ है, यहां मरने तक की फुर्सत नहीं है। 

 अब मेरी जगह होते तो क्या करते? 

 मैंने - - मेडिटेशन करना सीखा अपनी आंखे बंद की, और सासों पर ध्यान केन्द्रित किया फिर मन की आंखों से जो नजर आया अकथनीय था अब तो मैं दिन-प्रतिदिन अपने नेत्र मूंद कुछ मिनट निकल पड़ती मन के भीतर की यात्रा को... 

भीतर की शांति ने मुझे सम्भाल लिया उसके मेरा विचलित होना कम हो। मन के भीतर गहन शांति है जब मैने यह जाना तो उसे बांटना शुरु कर दिया... मेडिटेशन मन की शांति के लिए अमूल्य टाॅनिक का काम करता है। 




1. सबसे पहले तो अपनी हार से निराश मत होइये

2, हार और जीत तो जीवन के दो पहलू हैं ।

3.हार की वजह ढूंढने की कोशिश करिये ।

4.अगर फिर भी सफलता नहीं मिलती तो रास्ता बदल लिजीये।

5.प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अलग पहचान होती है

6.सारे गुण एक में नहीं होते ,अपनी विशेषता पहचानिये।

7.आप में जो गुण है उसे निखारिये अपना सौ प्रतिशत लगा दीजिये सफलता निश्चित
 आपके कदम चूमेगी ।

8.बार -बार प्रयास करने पर भी अगर किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है तो काम करने का तरीका बदल कर देखिये ।

9.नकारात्मक विचार जब भी आप पर हावी होने लगें तो तुरन्त अपने विचार बदल लीजिये ।

10 हमेशा सकारात्मक सोचिये ।और कभी भी किसी के जैसा बनने की कोशिश मत करिये ।

11.आप अपने स्वभाव में जियें और अपने आन्तरिक गुणों को पहचान कर उन्हें निखारिये।

12.अपने रास्ते खुद बनाईये।

13. कभी भी लकीर के फ़कीर मत बनिये ।

14. हमेशा अच्छा सोचिये ।

15.अपनी नयी पहचान बनाइये अपने रास्ते अपनी मंजिले स्वयं तैयार कीजिये । स्वयं का स्वयं पर विश्वास है जरूरी स्वयं के ही हाथों लिखनी हैअपनी तकदीर सुनहरी। 

16.याद रखिये चलना तो अकेले ही पड़ता है ,सफलता पाने के लिए ।

16.दुनियाँ की भीड़ तो तब इकठ्ठी होती है ,जब रास्तें तैयार हो जाते है ।

17.सफलता के बाद तो हर कोई पहचान बढाना चाहता है ।

8.सकारात्मक सोच ही हमें आगे बड़ाने में सहायक होती है।

19 .नकारात्मक सोच अन्धकार से भरे बंद कमरे मे बैठे रहने के सिवा कुछ भी नहीं ।

20.उजियारा चाहिये तो अँधेरे कमरे में प्रकाश की व्यवस्था करनी पड़ेगी ।
21.यानि  नकारात्मक विचारों रुपी अन्धकार को दूर करने के लिये सकारात्मक विचार रुपी उजियारे की व्यवस्था करनी पड़ेगी ।

21.याद रखिये दूनियाँ में अन्धकार भी है ,और प्रकाश भी   ! तय हमें करना  है की हमें क्या चाहिए ।
22 . हमारी हार या जीत हमारे स्वयं के संकल्पों की शक्ति है।
23.इस धरती पर मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है ,जो अपने संकल्पों से अनहोने काम कर सकता है ।
24.कोई भी व्यक्ति शरीर से कमजोर या ताकतवर हो सकता है ।
25.परन्तु शुभ संकल्पों की शक्ति बहुत ही श्रेष्ठ और अद्वितय होती है ।

Comments

Popular posts from this blog

प्रेम जगत की रीत है

 निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिवाकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  धरा के श्रृंगार में समृद्ध मंजरी सहज चारूता प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प्रेम के रुप अनेक,प्रेम में श्रृंगार का  महत्व है सबसे बड़ा - श्रृंगार ही सौन्दर्य है -  सौन्दर्य पर हर कोई फिदा - - नयन कमल,  मचलती झील, अधर गुलाब अमृत रस बरसे  उलझती जुल्फें, मानों काली घटायें, पतली करघनी  मानों विचरती हों अप्सराएँ...  उफ्फ यह अदायें दिल को रिझायें  प्रेम का ना अंत है प्रेम तो अन...

पल-पल

पल-पल बीत रहा है हर पल  घड़ी की सुईयों की कट-टक  इंतजार में हूं उस बेहतरीन पल के  जिसमें खुशियाँ देगीं दस्तक - -    एक पल ने कहा रुक जा, ऐ पल,  उस पल ने कहा कैसे रुक जाऊं  अब आयेगा  दूसरा पल।  जिस पल में जीवन की सुंदरता का हो एहसास  बस वही है प्यारा पल।   ऐ पल तू ठहर जा, पल में बन जायेगा तू अगला पल, जाने कैसा होगा अगला पल,आज का पल है  बेहतरीन पल, जी भर जी लूं यह पल, कह रहा है मन चंचल-चपल । पल की  कीमत पल ही जाने,  बीत जाने पर हो जाना है हर पल बीता कल।  पल -पल कीमती है, प्रयासों की मचा दो हलचल, जाने कब गुजर जाये यह पल, बन जाये अगला पल।   हर पल को बना दो, बेहतरीन पल फिर लौटकर नहीं आयेगा यह पल।  पल की कीमत पल ही जाने, नहीं ठहरता कोई भी पल,बन जाता है अगला पल। पल -पल बीत रहा है, कह रहे हो जिसे अगला पल उस पल में निकाल लेना जरूरी प्रश्नों के हल।    यह पल भी होगा कल, फिर अगला पल  समय नहीं लगेगा, हर पल को बीतते।  वर्तमान पल को बना दो स्वर्णिम पल  कल का पता नहीं, कब हो जाये फिर अगला ...

भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...