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आशा दीप


भीतर भर एक आशा 

स्वयं का स्वयं पर विश्वास 

भर आस‌ जला एक आशा दीप 

भीतर एक विश्वास 

मन की आवाज़ 

जीत का आगाज ‌‌

आशाओं का चिराग 

दीप प्रज्जवलित कर 

प्रयासों के आधार ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌से 

रच जायेंगे इतिहास 

स्वयं से कर आगाज 

बेहतरीन ‌‌‌‌‌होगे काज 

जितायेगा तुझे तेरा ही विश्वास ....

कर्मनिष्ठता संग आत्म बल की भर आस  

भरोसा स्वयं का स्वयं पर विश्वास .... 


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प्रेम जगत की रीत है

 निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिवाकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  धरा के श्रृंगार में समृद्ध मंजरी सहज चारूता प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प्रेम के रुप अनेक,प्रेम में श्रृंगार का  महत्व है सबसे बड़ा - श्रृंगार ही सौन्दर्य है -  सौन्दर्य पर हर कोई फिदा - - नयन कमल,  मचलती झील, अधर गुलाब अमृत रस बरसे  उलझती जुल्फें, मानों काली घटायें, पतली करघनी  मानों विचरती हों अप्सराएँ...  उफ्फ यह अदायें दिल को रिझायें  प्रेम का ना अंत है प्रेम तो अन...

पल-पल

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