Skip to main content

सफर


आसमां में कहीं दूर घराना मेरा 
सफर तो सफ़र सच है ही मगर 
लौट के एक दिन जाना होगा 
ज़िन्दगी का सफ़र हसीन था मगर 
जाने कौन सा मोड़ आखिरी हो मेरा 
यह सोच कर मैं सहमा करा !

आसमां में दूर घर था मेरा 
धरा पर सफर को फेरा किया 
प्रकृति सौंदर्य में मैं जब भी रमा गया 
मन के भावो में भूला घर भी मेरा 
धरा पर नया बसेरा किया 

जाने कौन सा मोड़ आखिरी हो मेरा 
यह सोच कर हर पल सहमा करा
इस धरा से मोहब्बत मैं करने लगा
धरा पर स्वर्ग बसाने लगा 
कशमकश में भी चलता रहा 
दिव्यता से शक्ति पाने लगा 
सफर पर चला और चलता रहा 

रिश्ते- नातों लम्बी कतारें बनी 
मित्रों से दिल की कड़ी भी जुड़ी 
सफ़र ज़िन्दगी का हसीन इस कदर हुआ
अब दिल‌ जो जुड़ा, मोड़ आखिरी मिला 
मैं जीता रहा ज्यों सदा रहूंगा इधर 
अपनों की फिक्र करने लगा 
 
मैंने अपनों को अपने तजुर्बे दिये 
आसमां से जुड़े तारों के इशारे दिये 
आसमां से थे हमारे घराने जुड़े 
सफर आखिरी मोड़ पर था‌ 
परमात्मा से जुड़े रहने के इशारे मिले  । 
 

Comments

Popular posts from this blog

अपने मालिक स्वयं बने

अपने मालिक स्वयं बने, स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें।  परिस्थितियां तो आयेंगी - जायेंगी, हमें अपनी मन की स्थिति को मजबूत बनाना है कि वो किसी भी परिस्थिति में डगमगायें नहीं।  अपने मालिक स्वयं बने,क्यों, कहाँ, किसलिए, इसने - उसने, ऐसे-वैसे से ऊपर उठिये...  किसी ने क्या कहा, उसने ऐसा क्यो कहा, वो ऐसा क्यों करते हैं...  कोई क्या करता है, क्यों करता है,हमें इससे ऊपर उठना है..  कोई कुछ भी करता है, हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.. वो करने वाले के कर्म... वो अपने कर्म से अपना भाग्य लिख रहा है।  हम क्यों किसी के कर्म के बारे मे सोच-सोचकर अपना आज खराब करें...  हमारे विचार हमारी संपत्ति हैं क्यों इन पर नकारात्मक विचारों का  दीमक लगाए चलो कुछ अच्छा  सोंचे  कुछ अच्छा करें "।💐 👍मेरा मुझ पर विश्वास जरूरी है , मेरे हाथों की लकीरों में मेरी तकदीर सुनहरी है । मौन की भाषा जो समझ   जाते है।वो ख़ास होते हैं ।  क्योंकि ?  खामोशियों में ही अक्सर   गहरे राज होते है....

ध्यान योग साधना

  ध्यान योग का महत्व... ध्यान योग साधना साधारण बात नहीं... इसका महत्व वही जान सकता है.. जो ध्यान योग में बैठता है।  वाह! "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी" आप धन्य है... आप इस देश,समाज,के प्रेरणास्रोत हैं।  आप का ध्यान योग साधना को महत्व देना, समस्त देशवासियों के लिए एक संदेश है... की ध्यान योग का जीवन में क्या महत्व है। ध्यान योग साधना में कुछ तो विशिष्टता अवश्य होगी...वरना इतने बड़ देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के पास इतनी व्यस्तता के बावजूद इतना समय कहां से आयेगा कि वह सब काम छोड़ ध्यान में बैठे।  यथार्थ यह की ध्यान योग साधना बहुत उच्च कोटी की साधना है... दुनियां के सारे जप-तप के आगे अगर आपने मन को साधकर यानि मन इंद्रियों की की सारी कामनाओं से ऊपर उठकर मन को दिव्य शक्ति परमात्मा में में लगा लिया तो.. आपको परमात्मा से दिव्य शक्तियां प्राप्त होने लगेगी। लेकिन इसके लिए आपको कुछ समय के लिए संसार से मन हटाकर.. ध्यान साधना में बैठना होगा... एक बार परमात्मा में ध्यान लग गया और आपको दिव्य अनुभव होने लगें तो आप स्वयं समय निकालेगें ध्यान साधना के लिये।  आप सोचिए अग...

लेखक

  जब आप अपनी अभिव्यक्ति या कुछ लिखकर समाज के समक्ष लाते हैं, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप समाज के समक्ष बेहतरीन साकारात्मक विचारों को लिखकर परोसे,   जिससे समाज गुमराह होने से बचे..प्रकृति पर लिखें, वीर रस लिखें, सौंदर्य लिखें, प्रेरणादायक लिखें, क्रांति पर लिखें ___यथार्थ समाजिक लिखें  कभी - कभी समाजिक परिस्थितियां भयावह, दर्दनाक होती---बहुत सिरहन उठती हैं.... क्यों आखिर क्यों ? इतनी हैवानियत, इतनी राक्षसवृत्ति.. दिल कराहता है.. हैवानियत को लिखकर परोस देते हैं हम - - समाज को आईना भी दिखाना होता... किन्तु मात्र दर्द या हैवानियत और हिंसा ही लिखते रहें अच्छी बात नहीं..   लिखकर समाज को विचार परोसे जाते हैं.. विचारों में साकारात्मकता होनी भी आवश्यक है।  प्रेम अभिव्यक्ति पर भी लिखें प्रेम लिखने में कोई बुराई नहीं क्योंकि प्रेम से ही रचता-बसता संसार है.. प्रेम मन का सौन्दर्य है, क्यों कहे सब व्यर्थ है, प्रेम ही जीवन अर्थ है प्रेम से संसार है, प्रेम ही व्यवहार है प्रेम ही सद्भावना, प्रेम ही अराधना प्रेम ही जीवन आधार है.. प्रेम में देह नहीं, प्रेम एक जज्बात...