Skip to main content

रोना बंद करें स्वयं को सक्षम बनाइए

 

रोना बंद करें स्वयं को सक्षम बनाइए **

      मेरे एक मित्र ने मुझे कहा कि मैं किसी की वजह से बहुत दुःखी हूं ।
   मैंने उसके साथ कभी भी बुरा नहीं किया ,उसने मेरे साथ इतना बुरा क्यों किया ,मैंने उसका क्या बिगाड़ा था ।
उसने जो कुछ भी बुरा किया है ,ना उसका फ़ल उसे भगवान देगा ...........
   एक पल को तो मैं अपने मित्र की बातों से भावुक हो गई ,बड़ा दुःख हो रहा था मुझे उसकी स्थिति देखकर ...... फिर मैंने सोचा एक तो यह पहले ही दुःखी है , मैं इसका दुःख कम करने की बजाय बढ़ाने का काम करूं ,नहीं -नहीं यह ठीक नहीं होगा ...........
   मैं अपने मित्र की हर बात बड़े ध्यान से सुन रही थी,वो इसलिए नहीं की मैं उससे सहमत हूं ,वरन इसलिए कि वो अपने दिल की सारी भड़ास निकाल दे और अपना दिल हल्का कर ले......
   मेरा मित्र इतना दुःखी हो रहा था मानों...आगे कोई उपाय ही ना हो ....
  इतना सारा शब्दों का जहर उसके मुंह से बातों के रूप में निकल रहा था , कि सारी धरती जहरीली हो जाए ,उसने मेरे साथ बुरा किया ,उसका भी कभी भला नहीं होगा उसने धोखे से हमसे सब कुछ छीना है भगवान उससे भी उसका एक दिन सब कुछ छीन लेगा ,जो छल-कपट से काम करते हैं उनके साथ भी वही होता है ,जो जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल मिलता है........
  ।अब मैंने मित्र की बात काटते हुए कहा सही......जो जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल मिलता है ,अब तुम क्या कर रही हो ,तुम भी तो वही कर रही हो ,उसने जो ग़लत किया वो उसके कर्म ....अब तुम उसके बारे में सोच -सोच कर अपने लिये गलत कर रहे हो ।
अगर किसी ने कुछ ग़लत भी किया है, और उससे तुम्हारे जीवन में प्रभाव पड़ता है तो ,इसका मतलब तुम कमजोर हो ,अपनी आत्मिक शक्ति को मजबूत बनाओ ....
  इसने ये कर दिया वो कर दिया ,हमारे साथ ही बुरा क्यों होता है .....बुरा सिर्फ तुम्हारे साथ नहीं ...जिसकी वृत्ति बुरी है या गलत है ,या यूं कहिए जिसके पास जो होगा वो देगा ,कोई बुरा दे रहा है  आप उसे तो नहीं रोक सकते परंतु आप स्वयं को इतना मजबूत तो अवश्य बनाइए कि आप के पास जो बुराई आए आप उसे अपनी तरफ़ आने ही ना दे
     अब मौसम को ही ले लो .....मौसम कभी भी एक समान नहीं रहता,सर्दी,गरमी,बरसात, हम मौसम के अनुसार स्वयं को ढालते हैं।
अचानक से मौसम बिगड़ता भी है ,तेज आंधी ,तूफान आने लगता है ,तब क्या आप ये कहेंगे मौसम बड़ा ख़राब है ,इसने हमारे घर में ये कर दिया वो कर दिया ,नहीं ना ......आपको पता है ,मौसम बिगड़ता है आंधी, तूफ़ान ,सैलाब ,जलजला, कभी भी आ सकते हैं ,और इन हालातों से बचने के लिए आप स्वयं को तैयार रखते हैं ।
  ऐसे ही जिस प्रकार हाथ की पांचों उंगलियां एक जैसी नहीं होती ,उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव भी एक जैसा नहीं होता ,माना कि किसी में बुरा करने के गुण हैं ,और उससे आपको प्रभाव पड़ रहा है, तो जैसा खराब मौसम होने पर आप स्वयं को तैयार रखते हैं ऐसे ही नकारात्मक लोगों के प्रभाव में आते ही ,स्वयं को अपने सद्गुणों का कवच पहनाइए ,स्वयं की रक्षा व बचाव आपको स्वयं ही करना है ,सिर्फ रोते रहने और किसी को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला है ।
मजबूत बनिये दुनियां में कई परिस्थितियां आएंगी आपको प्रभावित करेंगी ,बजाय परिस्थिति या व्यक्ति को कोसने को इन नकारत्मक परिस्थितियों से लड़ते के योग्य बनाइए ।
 मित्र परिस्थितियां तो अच्छी या बुरी दोनों आयेंगी ही ,स्वयं को मानसिक रूप से भी सक्षम बनाइए
इतने कमजोर मत बनो की कोई भी बुरी परिस्थिति आए और तुम्हारा अस्तित्व हिला कर चले जाएं ।
किसी को या भाग्य को दोष देने से पहले स्वयं का विश्लेषण कीजिए ,और आने वाली किसी भी परिस्थिति का नकारात्मक प्रभाव आपके ऊपर ना पड़े स्वयं को इस योग्य बनाइए ।
                                                 ऋतु असुजा
                                                  ऋषिकेश

Comments

Popular posts from this blog

प्रेम जगत की रीत है

 निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिवाकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  धरा के श्रृंगार में समृद्ध मंजरी सहज चारूता प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प्रेम के रुप अनेक,प्रेम में श्रृंगार का  महत्व है सबसे बड़ा - श्रृंगार ही सौन्दर्य है -  सौन्दर्य पर हर कोई फिदा - - नयन कमल,  मचलती झील, अधर गुलाब अमृत रस बरसे  उलझती जुल्फें, मानों काली घटायें, पतली करघनी  मानों विचरती हों अप्सराएँ...  उफ्फ यह अदायें दिल को रिझायें  प्रेम का ना अंत है प्रेम तो अन...

पल-पल

पल-पल बीत रहा है हर पल  घड़ी की सुईयों की कट-टक  इंतजार में हूं उस बेहतरीन पल के  जिसमें खुशियाँ देगीं दस्तक - -    एक पल ने कहा रुक जा, ऐ पल,  उस पल ने कहा कैसे रुक जाऊं  अब आयेगा  दूसरा पल।  जिस पल में जीवन की सुंदरता का हो एहसास  बस वही है प्यारा पल।   ऐ पल तू ठहर जा, पल में बन जायेगा तू अगला पल, जाने कैसा होगा अगला पल,आज का पल है  बेहतरीन पल, जी भर जी लूं यह पल, कह रहा है मन चंचल-चपल । पल की  कीमत पल ही जाने,  बीत जाने पर हो जाना है हर पल बीता कल।  पल -पल कीमती है, प्रयासों की मचा दो हलचल, जाने कब गुजर जाये यह पल, बन जाये अगला पल।   हर पल को बना दो, बेहतरीन पल फिर लौटकर नहीं आयेगा यह पल।  पल की कीमत पल ही जाने, नहीं ठहरता कोई भी पल,बन जाता है अगला पल। पल -पल बीत रहा है, कह रहे हो जिसे अगला पल उस पल में निकाल लेना जरूरी प्रश्नों के हल।    यह पल भी होगा कल, फिर अगला पल  समय नहीं लगेगा, हर पल को बीतते।  वर्तमान पल को बना दो स्वर्णिम पल  कल का पता नहीं, कब हो जाये फिर अगला ...

भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...