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Showing posts from August, 2025

आग और धुआं

  सकारात्मक संकल्प के दीपक का प्रकाश का पुंज  लिहोता है एक कवि ।  निराशा में आशा की  मशाल लेकर चलता है  एक कवि  उम्मीद की नयी किरणें  सकारात्मक दिव्य प्रकाश  के दिए जलाते चलो माना की तूफ़ान तेज है तिनका -तिनका बिखरो मत उन तिनकों से हौसलों की बुलन्द ढाल बनाते चलो माना की घनघोर अंधेरी रात है नाकारत्मक वृत्तियों से लड़ते हुए सकारात्मकता का चापू चलाते चलो संघर्ष के इस दौर में हौसलों के महल बनाते चलो राह में आने वालों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते चलो। हर घर में रोज जले बरकत का चूल्हा  प्रेम ,अपनत्व का सांझा चूल्हा **  मां तुम जमा लो चूल्हा  मैं तुम्हें ला दूंगा लकड़ी  अग्नि के तेज से तपा लो चूल्हा,  भूख लगी है ,बड़े जोर की  तुम मुझे बना कर देना  नरम और गरम रोटी।  मां की ममता के ताप से  मन को जो मिलेगी संतुष्टि   उससे बड़ी ना होगी कोई  खुशी कहीं ।  चूल्हे की ताप में जब पकता  भोजन महक जाता सारा घर * हर घर में रोज जले बरकत  का चूल्हा ,प्रेम प्यार का सांझा चूल्हा * *अग्नि जीवन...

भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...