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हिंदी मेरा अभिमान

मेरा देश हिंदूस्तान‌ मेरी पहचान

हिंदी मेरी मात्र भाषा मेरा अभिमान 

क्यूं भटकूं दर ब दर मेरे देश में रत्नों की खान‌ 

अपने तो अपने होते‌ हैं 

बाकी सब तो सपने होते हैं ‌‌

करता हूं मैं सबका सम्मान  

मेरी मात्र भाषा हिंदी है मेरा‌ अभिमान‌ 

निजता में सहजता 

सहजता में सरलता 

सरलता में गहनता‌ 

गहनता में बुद्धि विवेक का ज्ञान ‌‌

ज्ञान जीवन का सम्मान ‌‌

भीतर समाहित संस्कृति और सभ्यता का वैभव ‌‌

निज भाषा हिंदी का ह्रदय से मां तुल्य सम्मान 










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खोज मन में उठते भावों की

भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

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