मेरा देश हिंदूस्तान मेरी पहचान
हिंदी मेरी मात्र भाषा मेरा अभिमान
क्यूं भटकूं दर ब दर मेरे देश में रत्नों की खान
अपने तो अपने होते हैं
बाकी सब तो सपने होते हैं
करता हूं मैं सबका सम्मान
मेरी मात्र भाषा हिंदी है मेरा अभिमान
निजता में सहजता
सहजता में सरलता
सरलता में गहनता
गहनता में बुद्धि विवेक का ज्ञान
ज्ञान जीवन का सम्मान
भीतर समाहित संस्कृति और सभ्यता का वैभव
निज भाषा हिंदी का ह्रदय से मां तुल्य सम्मान
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