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Showing posts from August, 2022

आधुनिकता का अंधकार

मेरी ज़िन्दगी मेरी मर्जी  वाह रे! पढ़ें लिखे मूर्खो.. गुलाम होते मूर्खो  स्वयं को समझ होशियार लेते हो धुम्रपान के नशे का आधार तुम्हारी गुलामी का इकरार ..  कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार ..  मार्डन कहलाने की लत जो लगी है  आधी- अधूरी..आड़ी -तिरछी ,कटी- फटी पोशाकें  धुम्रपान के जहरीले धुऐं को अपनी सांसों में समाता   स्वयं को आधुनिक दर्शाने की होड़ में  स्वयं के ही मौत का मौहाल तैयार करता  गिरता- फिरता - स्वयं की चाल भी ना सम्भाल पाता  होशियार बनने का दिखावा करता ..   अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता  स्वयं की तबाही का मंजर बनाता  आंखों पर बांधे आधुनिकता की पट्टी  आज का युवा स्वयं मे जहरीले धुएं को भी समाने से   परहेज़ नहीं करता ... माने है.. जाने है.. कहे है‌.. धुम्रपान की लत  तुम्हारी गुलामी का इकरार .. कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार .. मत कर स्वीकार नशे का अंधकार ..  कमजोर मानसिकता का  का झूठा हथियार कर रहे। स्वयं...

हवाओं में घुला हो जहर

 हवाओं में घुला हो ज़हर   तो मैं जी नहीं सकता  हां - हां मुझे फर्क पड़ता है  क्योंकि मैं इस समाज का हिस्सा हूं  मानवीय गुणों के कुछ संस्कार मुझमें भी जीते हैं  नहीं - नहीं मैं धृतराष्ट्र नहीं ... दुर्योधन मैं हो नहीं सकता  धिक्कारती है आत्मा मेरी मुझी को मैं स्वार्थ में अंधा हो नहीं सकता  जीता हूं परमार्थ के लिए.. मैं सिर्फ अपने ही लिए तो जी नहीं सकता सिर्फ अपने लिए तो मैं मर भी नहीं सकता  नहीं शौंक मुझे कुछ होने का  किसी के लिए कुछ होने से मैं स्वयं को रोक नहीं सकता  मेरी वजह से कोई आगे बढ़े तो मैं सौभाग्यशाली हूं  मैं खाली हाथ आया था ... भावों का पिटारा साथ लाया हूं  विचारों के हीरे - मोती हैं .. तराशता हूं अमूल्य रत्नों को और समाज में बिखेर देता हूं .. जौहरियों के भी मैं कम ही समझ आता हूं ... अक्सर राहों पर‌ भटकता पाया जाता हूं...  क्या करूं साधारण सा इंसान जो हूं ....

साधारण हूं इसीलिए असाधारण हूं

 कभी भी किसी को हल्के में मत लेना हर कोई भीतर एक ज्वाला लिए बैठा है  साधारण हूं इसीलिए तो असाधारण भी हूं  आज के युग में साधारण होना भी कोई आसान नहीं  साधारण हूं क्योंकि सब समझ जाते हैं  असाधारण इसलिए की सब ऊपर से देखते हैं  भीतरी की गहराई जान नहीं पाते हैं   सरल हूं ..  तरल भी हूं  देता सबको शीतलता हूं ‌‌‌‌‌‌‌ भीतर एक ज्वाला लिए बैठा हूं  मुझसे खिलवाड़...मत करना  भीतर मेरे भी है हथियार .... सरल हूं तरल हूं निश्च्छल हूं  मेरी सरलता ही मेरी पहचान है  मेरी आन -बान और शान है  मैं शाश्वत हूं क्योंकि मैं सत्य हूं  मेरे अस्तित्व से छेड़छाड़ भूल होगी तुम्हारी  छल कपट के यंत्रो की रफ्तार भले ही जोरदार  अंत जब होगा तब ना रहेगा नामोनिशान ....
 गीता ज्ञान से जीने की कला सीखा गया  उन्हीं नटखट नंद किशोर का  अधरों पर मधुर मुस्कान लिए   दिव्य अलौकिक प्राकट्य उत्सव आ गया .. .श्री कृष्ण जन्मोत्सव की अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी कम पढ़ जाये कुछ ऐसा जीना सिखा दो ‌ ज़िन्दगी भर जीने की वजह मिलती रहे कुछ ऐसी राह दिखा दे ... ज़िन्दगी भर जिन्दगी में कुछ ढूंढता रहा  ज़िन्दगी जीने के लिए.. ज़िन्दगी मिली भरपूर मिली  ज़िन्दगी फिर भी पूरी ना मिली ज़िन्दगी जीने के लिए जो स्वयं ही पूरी नहीं ऐसी अधूरी सी जिन्दगी से कुछ चाहता रहा ज़िन्दगी भर पूरी जीने के लिए  ..... ऐ जिन्दगी मुझे जीना सीखा दे  जिंदा हूं इसलिए जीता हूं  जीवन जीने के लिए जीता रहूं...  जीने के लिए जीना सिखा दे 

आजाद तिरंगा

#आजाद तिरंगा बादशाह तिरंगा # लहर - लहर लहराये तिरंगा   अमृत महोत्सव आजादी का मनाये तिरंगा  भारत माता की जय -जयकार सुनाये तिरंगा  दिलों में अमृत भर-भर आता  भाईचारे का रिश्ता हर कोई अपनाना  भारत माता का सम्मान तिरंगा  यूं ही सदा नील गगन की ऊंचाइयों में  लहर -लहर लहराये तिरंगा  गीत खुशी के गाये तिरंगा   आत्मसम्मान के यशगान सुनाता भारत माता के जयकारों से वायुमंडल भी  हर्षाता .. रंग केसरिया शौर्य भारत का  श्वेत सुख- शांति का सूचक  हरा .. हरियाली सुख- समृद्धि का परिचय देता  *भारत माता* का स्वाभिमान *तिरंगा*  स्वतंत्रता का आगाज  #तिरंगा * जीत तिरंगा विश्वास तिरंगा  आत्मसम्मान तिरंगा  चेहरों की मुस्कान तिरंगा  स्वाभिमान तिरंगा ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌  खिले- खिले चेहरों की मुस्कान तिरंगा  स्वतंत्रता का आगाज तिरंगा  प्राणों से भी बढ़कर प्यारा तिरंगा  भारतीयों का आत्मसम्मान तिरंगा