सबका रुचिकर
होठों पर लिए मुस्कान लिए
नरम- नरम गुजिया चटपटी चाट
कांजी का लोटा भी भर लायी हूं मैं
इस होली सबके दिलों में प्रेम का रंग चढाने आयी हूं मैं ...
रंगों के इस त्यौहार में
कुछ रंग मैं भी लायी हूं..
लाल गुलाल गालों की लाली के लिए
केसरी तिलक माथे तिलक के लिए
हरा रंग चंहू ओर हरियाली के लिए सुख -समृद्धि के लिए
रंगों का त्यौहार है
फाल्गुनी मौसम में
रंग बिरंगे पुष्पों की कतार है ..
हवाओं में मीठी सी तकरार है
कभी सर्द कभी गर्म गुनगनाहट का मीठा एहसास है
गेंदा से सुरमयी आधार है
बोगीबेलिया से चहूं और बहार है ..
बहार ही बहार है । सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ ।
जी संगीता जी सबके जीवन में बहार हो ..
Deleteरंगो के त्यौहार की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteसुधा जी एक रंग प्रेम का हम सब चढा रहे ..
Deleteवाह! बहुत सरस मनभावन रचना रितु जी,
ReplyDeleteमोहक रंग बिखेरती।
जी नमन आभार
Deleteवाह!सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteशुभा जी आभार
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