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अच्छा लगता है


 उम्र की परतों ने मुझे बड़ा बना दिया 

अभी कहां हुई हूं मैं बड़ी 

बचपन का अल्हड़ पन 

मौज मस्ती में रमता मन 

आज भी अच्छा लगता है 

सखियों संग लड़कपन

आज भी लौट जाना चाहता है 

जाने क्यों बचपन में मन 

अभी भी जीता है मुझमें मेरा बचपन 

मिलते-जुलते रहा करो सखियों

तुमसे मिलकर लौट आता है मुझमें मेरा जीवन ....

तुम्हारे- हमारे दिल की आपबीती एक जैसी 

उम्र की ऐसी की तैसी...उम्र की लकीरें 

खींचती हैं लक्ष्मण रेखायें....अनदेखा कर सब लकीरों को 

हां बस एक खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं हम

 मरने से पहले तिल-तिल मरना नहीं मंजूर मुझको 

उम्र की दहलीज पर नये खूबसूरत

 रंग सजाना चाहते हैं हम  

 उम्र की आखिरी सांस तक मुस्कुराना चाहते है हम 

और सारे जहां के लिए मुस्कुराने की

वजह बनना चाहते हैं हम ,बस सवयं के

लिये स्वयं की शर्तों पर जीवन जीना चाहते हैं हम  ।।



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