हिन्दूस्तान की आत्मा ,आन -बान और शान मातृभाषा "हिंदी" हिन्दूस्तान के प्राण मातृभाषा "हिंदी "
हिन्दूस्तान की आत्मा हिन्दू संस्कृति
संस्कृत से जन्मी मातृभाषा "हिंदी "
मातृभाषा गौरव है ,इतिहास है अपनी मातृभाषा से ही हिन्दुस्तान सम्पूर्ण है ।
सनातन धर्म का परिचय देती वेद, उपनिषद, पुराण रामायण आदि धर्म ग्रंथों में अपने अस्तित्व को समाती हिंदी.... देश,काल ़़और समय के अनुसार हिंदी भाषा के रुप, बोल-चाल और लिखने के ढंग में परिवर्तन होता रहा लेकिन मातृभाषा तो हिंदी ही रही क्योंकि मां तो मां ही होती है और प्राणों से भी अधिक प्रिय होती है क्योंकि मां तो एक ही होती है । जो अपनी मातृभाषा यानि अपनी मां को मां कहने में छोटा महसूस करता है ,वह यह नहीं जानता की अपनी से बढ़कर अपनापन कोई और मां नहीं दे सकती । जिस भाषा को बोलकर मैंने सर्वप्रथम अपने भावों को प्रकट किया , जिस भाषा से मुझे मेरी पहचान मिली उस मां तुल्य हिंदी भाषा को मेरा शत-शत नमन 🙏🙏 जब -जब आत्मस्वाभिमान की बात आती है तब-तब मातृभाषा "हिंदी" के सम्मान की स्वयं की भाषा के गौरव की बात अवश्य होती है ।
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