पर्वत राज हिमालय विशाल
अडिग खड़ा विहंगम
असंख्य झुंडों में ऐरावत संग सिंघम
हिमालय राज का शासन देखो
रक्षा प्रहरी सा अडिग विहंगम
भारतवर्ष की शान बढ़ाता
हिम खण्डों का अद्भुत वक्षस्थल
असंख्य भुजाऐं फैला
पर्वत राज हिमालय
हिम+आलय
ओढे चांदनी की चादर
कांति से चमचमाता
आभामंडल में साकारात्मकता फैलाता
सूर्य किरणों से सुनहरा बन
स्वर्णिम -रजत कांति से मन मोह
दिल लुभाकर हर्षित कर जाता
पर्वत राज हिमालय भारतवर्ष की शान बढ़ाता
ढाल बन दुविधाओं के प्रहार को
कठोर वक्षस्थल से टकरा-टकरा
दम तोड़ चूर -चूर कर जाता
भारत भूमि को सुख समृद्धि से
खुशहाल बना गिरीराज हिमालय
भारत का ताज बन भारतवर्ष का गौरव बढाता।
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