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कर्म

हम कल भी थे 

आज भी हैं 

और हमेशा ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌रहेंगें 

हम किसी भी मनुष्य के कर्म हैं 

कर्म विचारों की उथल-पुथल 

का महासंग्राम है 

परिक्षा का परिणाम है, संयम 

 कर्म के तराजू पर क्रियात्मक एवं 

मानसिक दोनों ही कर्मों का आकलन हुआ 

शुभ सरल साकारात्मक विचारों का बादशाह 

सरलता से शुभ भावों को संग लेकर 

सादगी की कश्ति में सवार हो दरिया पार हो

गया, समझदारी का चोला पहने होशियार उलझाता 

और उलझता रहा है और कर्मों की गांठों में जकड़े रहा 

कर्म तराजू पर पारदर्शिता ही काम आयी चालाकियां सारी 

धरी की धरी रह गयी ।

निस्वार्थ भाव से समाज के लिए प्रेरणादायक 

कर्म सदैव अमर रहते हैं, कर्म पहचान बनाते हैं ‌‌

अच्छे कर्म मनुष्य के मनुष्य होने का सत्य बताते हैं 







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