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हिंदी मेरी मातृ भाषा गर्व से कहती हूं..


परिचिता :-  विदेश से लौटी  मेरी एक परिचिता ...

अग्रेजी में पटर- पटर करती .. अपने आप को नये जमाने की आधुनिक  समझती ... 

मुझे भी अंग्रेजी में बोलने के लिए  प्रेरित करती । कहती जीवन  में आगे बढना है तो अंग्रेजी बोलना सीख ले ।

बताओ --? यह भी कोई बात हुई  ...

मैने भी कह दिया ना भई ना ..."हिन्दुस्तान में जन्मी.. पहचान मेरी हिन्दी"

"हिंदी मेरी मात्र भाषा मेरा सम्मान मां तुल्य पूजनीय है" ...

*हिंदी मुझे विरासत में मिली है* ... मेरे माता - पिता दादी- दादा सभी आपस में हिंदी में ही बात करते आये हैं ... और  मेरी दादी तो बचपन से मुझे हिंदी की ही पुस्तकें पढ कर नैतिक  शिक्षाप्रद  कहानियां सुनाती थीं.. उन कहानियों के छाया चित्र आज भी मेरे मानस पटल पर अपनी अद्वितीय  छाप बनाये हुए हैं..  मेरा मार्गदर्शन करते हैं .. 

पंचतंत्र की  कहानियां की विषेशताओं से कोई  भी भारतीय  अनभिज्ञ  नहीं ..

 रामचरितमानस  .. भागवत गीता .,महाभारत  .. चारों वेद ,उपनिषद  ... विश्व पटल पर अपना लोहा मनवाने में समक्ष हैं।

क्योकि मैं हिंदुस्तानी ,हूं सर्वप्रथम मेरी मात्र भाषा हिंदी को स्थान दूंगी ... 

हां मैं कोई अन्य भाषा सीखने में कोई  बुराई  नहीं .. ज्ञान  कोई  भी हो ग्रहण  करना चाहिए  ...

सर्वप्रथम अपने अपनों को सम्मान दो फिर वो चाहे कुछ भी हो ..फिर  अपनी मात्र भाषा हिंदी ही क्यों ना हो ।

क्योंकि कहते भी हैं ना जिसकी घर में इज्जत  हो उसकी बाहर भी इज्जत  होती है । 

मैं शान से कहती हूं ,सनातन संस्कृति सभ्यता की वाहिका  संस्कृत से जन्मी ,हिन्दी मेरी मातृ भाषा मां तुल्य  पूजनीय  है ।




Comments

  1. सच कहा आपने ..शान से कहते हैं ,हम हिंदी भाषी हैं ,गर्व है हमे इसका ।

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    1. नमस्कार शुभा जी आभार

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  2. हिंदी दिवस पर हिंदी के मान सम्मान में सुंदर सृजन ।

    ReplyDelete
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    1. नमस्कार सुधा जी आभार

      Delete

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