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अथाह आलौकिक दिव्यता


"अथाह आलौकिक निर्मल मन की पवित्रता 
धर्म  मनुष्य  की सौम्यता

सच्चा धर्म ना भटकाये कभी 

सर्व जन हिताय कर्म  निभाए सदा"

धर्म  का ना बाजार बनाओ 

धर्म के नाम पर ना भटकाओ 

धर्म के नाम पर  ना डराओ 

धर्म  के नाम पर ना समाज को गुमराह करो 

धर्म  के नाम  पर  अपनी शक्तियों का दुरुपयोग ना करें 

शक्तियां देवों में भी होती हैं, दैत्यों में भी होती है 

प्रकृति भी उन्हीं का साथ देती है ,जो सत्य का मार्ग बताये सत्य मार्ग  चले 

श्रीराम  श्रीकृष्ण जीवन जीना की कला

 एवं मर्यादित जीवन  जीने का संदेश  देते हैं

धर्म का पर्याय तो प्रहलाद. ध्रुव 

राम ,कृष्ण आदि हैं और अनादि काल  तक 

रहेगें ..शक्तियां तो राम में भी थीं.. रावण में भी थीं

कंस में भी थी ,हिरणयकश्यप में भी थीं ...

शक्तियों  का उचित  उपयोग आपको महान  बनाता है..

धर्म  अद्वितीय शिक्षा,  उच्चतम दीक्षा..

धर्म यही शिक्षित हों सभी निरोगी हों सभी 

कमतर  ना कोई  भीतर एक भाव जगा 

जागृत कर स्वयं की आस्था .. स्वयं पर पूर्ण  विश्वास रख ..

निस्वार्थ कर्म प्रेम की अखण्ड  ज्योत जलती रहे सदा ...




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