मां शारदे दे रही आशीर्वाद है
बसंत की बहार है गणतंत्र की पुकार है
धैर्य,विवेक के संकल्प से
नव भारत को रचना नया संसार है ..
भारतीयता ही सरोकार है
माता के संस्कार हैं
दे रही दुलार ,प्रकृती भी प्यार है
सर्वस्व प्रेम.का संचार है
भारत माता का आशीष है
मर्यादा से सम्भाल रखना
भारत माता का सर्वस्व देश का भार है प्रेम से संचित बागान हैं
बागवान भारत माता कर रही वसुन्धरा का हार श्रृंगार है ...
बहुत सुन्दर रचना आदरणीया जी
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