शुभकामनाएं शुभमंगल हुई सभी दिशाएं
मन मंदिर दीप जलाओ जगत जननी शुभागमन की करो तैयारी
दिव्य सनातन सभ्यता संस्कृति ऋषि परम्परा
वेद ,उपनिषद धार्मिक ग्रन्थों में अर्थ निहित
शुभ मंगल बेला सुख - समृद्धि का रेला
अरुणोदय से प्रारंभ शुभारंभ
स्वर्णिम आभा.. दिव्य तेज पदार्पण
शुभागमन आदिशक्ति आशीषों का दे रही वरदान
हाथ जोङ करो नमन .. नतमस्तक नत शित बारम्बार
दिव्य अनुभूतियों भव्यता का दिव्य दर्शन
कर बंधन कर धरा धर मस्तक
स्वयं अवतरित मां जगदम्बा
संरक्षण को धरा के स्वयं मां जगदम्बा नवदुर्गा अवतरित
दिव्यता संग दिव्य अनुभूतियों से मन हर्षित
कलश भर जल करो जगदम्बा चरण वंदन
थाल सजा दिव्य दीप कर प्रकाशित
पहना गुलाब पुष्प गल माला
कर श्रृंगार माथे तिलक ज्यों चंदा नील गगन
वंदन करो मां की महिमा अपरम्पार
गुणगान मां जगदम्बा का..
देता आलौकिक सुख आभार
नव संवत्सर में मां जगदम्बा स्वयं देने आती आशीषों की
भरमार ..माता की ममता से सुखी बसे सब संसार
सुख समृद्धि की नित नयी उसइयों
की और बढता रहे समस्त संसार
नवसंवत्सर में दिलों में भरपूर रहे
निस्वार्थ प्रेम अपनत्व का संसार ..
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