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तुलसीदास जयंति पर तुलसीदास जी को नमन


तुलसीदास जयंति पर तुलसीदास को शीश नवायें 

रामचरितमानस के महात्म्य से जीवन को चरितार्थ करें

 आत्म तत्व में प्रवेश कर जीवन को अमृतमय बनायें 

आओ फिर से रामराज में चलें 

पतित- पावन  ग्रंथों से जन- जन का उद्धार 

नमन नतमस्तक नत शित बारम्बार  ,

गोस्वामी तुलसीदास महान 

भारत की परम्परा ,भारत की विरासत  

भारत  का गौरव , भारत का रक्षा कवच 

भारत  के गुरु ,आचरण  की सभ्यता 

नत शित बारम्बार  * रामचरितमानस* के 

रचियता ...यज्ञ ,तपस्या ,भारत  का माहात्म्य 

राम राज्य का चरित्र  अद्भुत वरदान  

गोस्वामी तुलसीदास का सोपान 

अमृत रस पान रामचरितमानस महान 

भारत एक अभिमान एक संज्ञान, एक विज्ञान  

भारत वासियों की साधारण  पहचान  

सरल व्यवहार, मीठी वाणी ,उच्च आदर्श 

भीतर  ज्ञान  का अद्भुत ज्ञान  

भारत वासियों की अद्भुत अतुलनीय अद्वितीय पहचान ...

Comments

  1. कविता कर के तुलसी न लसे
    कविता लसि पा तुलसी की कला

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    Replies

    1. मन उपजे ज्ञान,भीतर बाहर काव्य कला बसे

      Delete

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खोज मन में उठते भावों की

भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

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