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श्रीराम अयोध्या धाम आये


युगो - युगों के बाद हैं आये

श्रीराम अयोध्या धाम हैं आये 

अयोध्या के राजा राम, रामायण के सीताराम 

भक्तों के श्री भगवान 

स्वागत में पलके बिछाओ, बंदनवार सजाओ 

रंगोली सुन्दर बनाओ, पुष्पों की वर्षा करवाओ. 

आरती का थाल सजाओ अनगिन 

दीप मन मंदिर जलाओ...दिवाली हंस -हंस मनाओ... 

श्रीराम नाम की माला 

मानों अमृत का प्याला 

राम नाम को जपते जपते 

हो गया दिल मतवाला.... 

एक वो ही है रखवाला 

श्री राम सतयुग वाला... 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 

रामायण के श्री सीता राम 

आलौकिक दिव्य निराले 

सत्य धर्म पर चलने वाले 

सूर्यवंश की धर्म पताका ऊंची लहराने वाले 

मर्यादा  से जीवन जीने का 

संदेशा देते श्री राम सतयुग वाले 

प्राण जाये पर वचन ना जाये 

अदभुद सीख सिखाते 

मन, वचन, वाणी कर्म से 

सत्य मार्ग ही बतलाते.... 

असत्य पर सत्य की जीत कराने वाले 

नमन, नमन नतमस्तक हैं समस्त श्रद्धा वाले... 








Comments

  1. वाह!रितु जी ,बहुत सुन्दर!

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  2. राम राम शुभा जी

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भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

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