आज फिर कुछ लायी हूँ मीठी मुस्कान के साथ,कुछ मीठे शब्द, कुछ मीठे बोल,बस यही रह जायेगी यादें जब मैं समुद्र हो जाऊँगीं. अभी नदिया की चंचल धारा हूं बह रही हूँ, सागर हो जाने पर लहरों के संग आया -जाया करूंगी अभी नदिया की चंचल धारा हूँ समुंद्र हो जाने तक रही हूँ मचल समाज को कुछ बेहतरीन देने की चाह में, शुभ,सुन्दर,साकारात्मक विचारों को एकत्रित कर कभी गद्य,कभी पद्य में समाज को समर्पित कर देती हूं, बेहतरीन पाने और देने की चाह में बस बेहतरीन विचारों की श्रृंखला बनाती हूँ.. क्रम में सब अनुशासित हों सभ्य हों, बेहतरीन हों.... खूबसूरत हों, साकारात्मक की महक से महकते रहें सदैव बगीचों की शोभा बढती रहे मेरा समाज मुस्कराता रहे शुभ की ओर कदम बढाता रहे मेरे विचारों की बगिया के कुछ फूल समाज की सुन्दरता बढाने में अपना सहयोग प्रदान करते हैं तो सफल होगा जीवन मेरा...