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वृक्ष धरती की आत्मा


वृक्ष धरती की आत्मा 
जंगल जलाशयों का 
प्रमुख स्रोत.. 

जंगलों का कटान बंद करो 
वसुंधरा का कुछ तो 
मान करो.. 

वसुंधरा तप रही है 
धधक रही..जल भी 
गया सूख ..

पथराई आंखों से ताकती 
पत्थर की इमारतें
नमी का नामोनिशान नहीं 
जलाशय रहे हैं सूख.. 

आकाश का आक्रोश 
वसुंधरा पर फैल रहा 
है बनकर रोष - - - 

सूर्य की धधकती ज्वालाओं 
की तपन, वृक्षों का कटान किया 
अब कैसे लगेगा,जड़ी-बूटियों का मरहम 
मनुष्य तन में सत्तर प्रतिशत पानी 
बूढ़ी होती जवानी.. 


वसुंधरा का क्या हाल किया 
पत्थर की ईमारतें क्या देगीं 
प्राकृतिक हवा,पानी जलस्रोतों 
का दहन किया - - 
 
वसुंधरा पर उपकार करो 
धरती का श्रृंगार करो 
वसुंधरा पर जीने का अधिकार मिला 
 वृक्षों की भरमार करो.. 






 






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