ऊं नमो शिवाय ऊं नमः शिवाय
शिवमय है समस्त संसार
शिव ही जीवन का आधार
ढूंढता हूं शिव को आंखें मूंद
जबकि शिव तुझमें- मुझमें भीतर- बाहर
दिव्य ज्योत का लो आधार
तभी होगा शिव से होगा एकीकार
ऊं नमः शिवाय ऊं नमः शिवाय ।।
खनकती चूड़ियों का आगाज
सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र
मेहंदी की सौगात
**सावन का मौसम आया
संग अपने सुख-समृद्धि लाया
वर्षा की फुहार, हरा-भरा सुख-समृद्धि.
दोस्ती की परम्परा फरिश्तों के जहां से आयी होगी
तभी तो बिना किसी बंधन के धरती की खूबसूरती बढ़ायी होगी
तभी तो दोस्तों की महफिल में बचपने की फितरत आयी होगी
मेरे आने की आहट भी वो पहचानता है
वो मेरी फिक्र करता है
वो अक्सर दिन रात मेरा ही जिक्र करता है
मुझे बेझिझक डांटता है
मुझ पर हुक्म भी चलाता है
मेरी कमियां गिन गिन कर मुझे बताता है
कभी कभी वो मुझे मेरा दोस्त
मेरा दुश्मन सा लगता है
वो मेरा मित्र मेरे जीवन का इत्र जिसका मैं
अक्सर और वो मेरा अक्सर करता है जिक्र
उसे मेरी और मुझे उसकी हरपल
रहती है फिक्र...
आओ सखियों झूमें नाचे गायें
आया सावन तीज का त्यौहार
पक्षियों के चहकने की आवाज
खनकती चूड़ियों का आगाज
सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र
मेहंदी की सौगात
**सावन का मौसम आया
संग अपने सुख-समृद्धि लाया
वर्षा की फुहार, हरा-भरा सुख-समृद्धि
बाहें फैलाती झूला झूलन को
सखियों को बुलाती
प्रकृति संग सखियां भी
सोलह श्रृंगार करती हैं
चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है
हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी
सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर
शिव को प्रसन्न किया था
उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर
सुहागनें उपवास नियम करती हैं
वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं
आसमान की ऊंचाइयों में सखियां
झूल-झूल कर हंसती है
धरती झूमती है
प्रकृति निखरती है
पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से
सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**
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