बहुत अंतराल के बाद
संग सखियों के ठहाकों में
जीवन को जीवंत देखा
खुशियों की फुलझडीयां को
चेहरे पर खिलते देखा
उम्र की परतों को पीछे हटते देखा
दिलों की जिंदादिली को जवां होते देखा
बिन त्यौहार के एक नया
त्यौहार बनते देखा...
यादों के गुलदस्ते में अनगिनत
खूबसूरत पुष्प जो छिपे थे
सुस्त अवस्था में फिर से खिलते देखा।
यादों की ठहाकों की मीठी गठरी
खुलते देखा...
बहुत दिनों के बाद बचपन को फिर से
खिलते देखा ठहाके लगा जीवंत होते देखा।
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