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स्वर्णिम वसुंधरा

स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना एक लेखक की ईबादत होती है.. हर तरफ खूबसूरत देखने की एक लेखक की आदत होती है.. समाज में फैल रहे अत्याचार, हिंसा वैमनस्य की भावना देख एक लेखक की आत्मा जब रोती है तब एक लेखक की लेखनी तलवार बनकर चलती है और समाज मे फैल रहे वैमनस्य की भावना का अंत करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है.. लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है, किन्तु एक अदृश्य शक्ति उसको प्रेरित करती है। 

 अपने लिये तो सभी जीतें हैं हैं,

जीवन वह सफल है जो औरों के जीने के लिए 

जिया जाये। 

यूं तो मैंने बहुत कुछ लिखा है.. इंटरनेट पर मेरा अपना ब्लाग है, जिस पर लेखन कार्य निरंतर चलता रहता है। 

मैंने बहुत से साझा संकलन एवं एकल संकलन भी  लिखे। हैं । 

मेरे लिखने का उद्देश्य समाज को शुभभावनाओं से भरपूर करना है। शुभ साकारात्मक आत्मविश्वास से भरपूर संदेश देना है.. मेरे लिखने से किसी एक जीवन में भी साकारात्मक परिवर्तन आता है तो मेरा लिखना सफल है। 



ऋषिकेश एक अध्यात्म नगरी है, प्रकृति यहां गीत गुनगुनानाती है... मां गंगा की पवित्र अमृतमयी जलधारा जीवन पवित्र करती है... जिस ऋषिकेश ने मुझे इतना कुछ दिया, उसे सम्मान स्वरूप अपने शुभ, साकारात्मक, आत्मविश्वास से भरपूर विचारों के रूप में यह पुस्तक भेंट करना चाहती हूं, जिसका शीर्षक मैंने *ऋषिकेश की विरासत*रखा है... जो आने वाले समाज को और अभी जो समाज है उसको उत्तम राह दिखाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेगी। 





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 निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिवाकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  धरा के श्रृंगार में समृद्ध मंजरी सहज चारूता प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प्रेम के रुप अनेक,प्रेम में श्रृंगार का  महत्व है सबसे बड़ा - श्रृंगार ही सौन्दर्य है -  सौन्दर्य पर हर कोई फिदा - - नयन कमल,  मचलती झील, अधर गुलाब अमृत रस बरसे  उलझती जुल्फें, मानों काली घटायें, पतली करघनी  मानों विचरती हों अप्सराएँ...  उफ्फ यह अदायें दिल को रिझायें  प्रेम का ना अंत है प्रेम तो अन...

पल-पल

पल-पल बीत रहा है हर पल  घड़ी की सुईयों की कट-टक  इंतजार में हूं उस बेहतरीन पल के  जिसमें खुशियाँ देगीं दस्तक - -    एक पल ने कहा रुक जा, ऐ पल,  उस पल ने कहा कैसे रुक जाऊं  अब आयेगा  दूसरा पल।  जिस पल में जीवन की सुंदरता का हो एहसास  बस वही है प्यारा पल।   ऐ पल तू ठहर जा, पल में बन जायेगा तू अगला पल, जाने कैसा होगा अगला पल,आज का पल है  बेहतरीन पल, जी भर जी लूं यह पल, कह रहा है मन चंचल-चपल । पल की  कीमत पल ही जाने,  बीत जाने पर हो जाना है हर पल बीता कल।  पल -पल कीमती है, प्रयासों की मचा दो हलचल, जाने कब गुजर जाये यह पल, बन जाये अगला पल।   हर पल को बना दो, बेहतरीन पल फिर लौटकर नहीं आयेगा यह पल।  पल की कीमत पल ही जाने, नहीं ठहरता कोई भी पल,बन जाता है अगला पल। पल -पल बीत रहा है, कह रहे हो जिसे अगला पल उस पल में निकाल लेना जरूरी प्रश्नों के हल।    यह पल भी होगा कल, फिर अगला पल  समय नहीं लगेगा, हर पल को बीतते।  वर्तमान पल को बना दो स्वर्णिम पल  कल का पता नहीं, कब हो जाये फिर अगला ...

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 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...