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Showing posts from December, 2021

आशा दीप

भीतर भर एक आशा  स्वयं का स्वयं पर विश्वास  भर आस‌ जला एक आशा दीप  भीतर एक विश्वास  मन की आवाज़  जीत का आगाज ‌‌ आशाओं का चिराग  दीप प्रज्जवलित कर  प्रयासों के आधार ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌से  रच जायेंगे इतिहास  स्वयं से कर आगाज  बेहतरीन ‌‌‌‌‌होगे काज  जितायेगा तुझे तेरा ही विश्वास .... कर्मनिष्ठता संग आत्म बल की भर आस   भरोसा स्वयं का स्वयं पर विश्वास .... 

कायनात

सारी कायनात का मालिक है तेरा क्यों दर ब दर भटकता है  जो उसका है वो तेरा है  क्यों उससे जुदा होकर  फकीरों ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सी ज़िन्दगी बसर करता है  दुनियां में सबसे अमीर हो जायेगा  है‌ , क्यों बूंद बनकर बरसता है  माना की गुलाब पर मोती बनकर चमकता है  धूप में भाप से अपना अस्तित्व पल में खत्म करता है‌  क्यों दर ब दर भटकता है समुन्दर तेरा अस्तित्व  सारा आकाश ही तेरा है तेरा वजूद चांद - तारों से रोशन हुआ करता है ।