आपके गुण आपके अपने हैं
इन्हें कोई आपसे छीन नहीं सकता ..
आप अपने जैसे रहो हम हमारे जैसे
किसी के जैसा बनने में क्यों अपनी असलियत बिगाङें..
दिखावे का जमाना है खोखलापन सबको भाता है
असलियत का सच शांत बैठा मन ही मन विचलित हो जाता है .
खूूबसूरती तो सबको भाती है
खूबसूरती की संभाल नजाकत से की जाती
यह बात बहुत कम लोगों को समझ में आती है ...
पहचानते हैं लोग आपको आपकी हैसियत से
हैसियत भी ऐसी .. जिसकी हो सकती है कभी भी
ऐसी की तैसी ..
वक्त का खेल है सारा
हैसियत का लगा दो पांच सितारा
फिर हर कोई होगा तुम्हारा ..
आप कितने ज्ञानी हैं ..कोई नहीं जानता
आप कितने दानी हैं ..फिर तो हर कोई पहचानता .
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