Skip to main content

अमृत वचन

 तन लागे पीड़ा ,  रोए उदास दृग नीरा
ताके नयन उपवन, मन सताये पीरा ।।

भूखे का अपराध ,सदा  रहे निष्पाप 
अपराध का संताप ,अपराधी यही पश्चाताप।।
 

नयन नीर की पीर, बात बड़ी गम्भीर 
ह्रदय पीड़ा का तीर ,चक्षु अश्रु अधीर  ।।

विरह वेदना लघु रात, रुदन ह्रदय अश्रुपात
झूठी जग की सब रीत प्रभु कृपा संभले हालात।।

अभावों का दर्द ,‌बढें कदम शहर ओर
स्वर्ण कनक छोड़, मिली ठोकर हर छोर   ।।


छिपा संदेशे में दर्द,ह्रदय विदारक पैगाम । 
  समा तस्वीर गया, ताका जिसे सुबह-शाम ।।

अज्ञात शव दरिया बहे, परिचित रहे अंजान  ।

गिद्ध,जीव भोज करें समय बड़ा बलवान।।  


पशुता का वरण मानवता दी भुला ।

मानव तुम ही देव चिंता रही सता।।


 रहस्य मय जगत , रहस्य अदृश्य अनेक ।

दामिनी जल मध्य ,जलकण जैसे मेघ ।।


वाणी का अपना मोल, मृदुभाषी मीठा बोल।‌‌          वाचाल हुआ बेमोल,मौन भाषा अनमोल ।।

रहस्य मय जगत में, रहस्य अदृश्य अनेक ।
दामिनी जल मध्य में, आत्मबल धन सर्वश्रेष्ठ ।। 


सेवा धर्म सर्वोपरि   समर्पण की शक्ति बढ़ी ।
धर्म मर्म  इंसानियत  जाना जो जीता वही ।।

अंधेरा है भ्रम जैसा,नहीं शत्रु डर जैसा 
अंत डर का कर ऐसा,सब कहें शत्रु कैसा ।।   

 

Comments

Popular posts from this blog

खोज मन में उठते भावों की

भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

ध्यान योग साधना

  ध्यान योग का महत्व... ध्यान योग साधना साधारण बात नहीं... इसका महत्व वही जान सकता है.. जो ध्यान योग में बैठता है।  वाह! "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी" आप धन्य है... आप इस देश,समाज,के प्रेरणास्रोत हैं।  आप का ध्यान योग साधना को महत्व देना, समस्त देशवासियों के लिए एक संदेश है... की ध्यान योग का जीवन में क्या महत्व है। ध्यान योग साधना में कुछ तो विशिष्टता अवश्य होगी...वरना इतने बड़ देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के पास इतनी व्यस्तता के बावजूद इतना समय कहां से आयेगा कि वह सब काम छोड़ ध्यान में बैठे।  यथार्थ यह की ध्यान योग साधना बहुत उच्च कोटी की साधना है... दुनियां के सारे जप-तप के आगे अगर आपने मन को साधकर यानि मन इंद्रियों की की सारी कामनाओं से ऊपर उठकर मन को दिव्य शक्ति परमात्मा में में लगा लिया तो.. आपको परमात्मा से दिव्य शक्तियां प्राप्त होने लगेगी। लेकिन इसके लिए आपको कुछ समय के लिए संसार से मन हटाकर.. ध्यान साधना में बैठना होगा... एक बार परमात्मा में ध्यान लग गया और आपको दिव्य अनुभव होने लगें तो आप स्वयं समय निकालेगें ध्यान साधना के लिये।  आप सोचिए अगर देश को चलाने

श्रीराम अयोध्या धाम आये

युगो - युगों के बाद हैं आये श्रीराम अयोध्या धाम हैं आये  अयोध्या के राजा राम, रामायण के सीताराम  भक्तों के श्री भगवान  स्वागत में पलके बिछाओ, बंदनवार सजाओ  रंगोली सुन्दर बनाओ, पुष्पों की वर्षा करवाओ.  आरती का थाल सजाओ अनगिन  दीप मन मंदिर जलाओ...दिवाली हंस -हंस मनाओ...  श्रीराम नाम की माला  मानों अमृत का प्याला  राम नाम को जपते जपते  हो गया दिल मतवाला....  एक वो ही है रखवाला  श्री राम सतयुग वाला...  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम  रामायण के श्री सीता राम  आलौकिक दिव्य निराले  सत्य धर्म पर चलने वाले  सूर्यवंश की धर्म पताका ऊंची लहराने वाले  मर्यादा  से जीवन जीने का  संदेशा देते श्री राम सतयुग वाले  प्राण जाये पर वचन ना जाये  अदभुद सीख सिखाते  मन, वचन, वाणी कर्म से  सत्य मार्ग ही बतलाते....  असत्य पर सत्य की जीत कराने वाले  नमन, नमन नतमस्तक हैं समस्त श्रद्धा वाले...