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जीत का बिगुल बजा

 जीवन  में आगे बढने के लिए  

बहाव संग ठहराव भी जरुरी है  

देने की चाह से कर्म  प्रारम्भ  करिये 

मिलने की प्रक्रिया स्वतः सिद्ध  होती जायेगी 

डर के आगे जीत है 

चुनौतियां आपके दरवाजे पर आकर  

निरंतर  दस्तक देगीं 

आपको धमकायेगीं 

आपके हौसलों को इसकदर कमजोर कर  

देगीं कि आप टूट कर  बिखर जाओ ...

पर आप टूटना नहीं ..

उम्मीद  की एक किरण 

अपने संग रखना ...

अपने हौसलों के पंखो को

उड़ान के लिए  तैयार  रखना 

और  कभी भी मौका देखकर  

उङ जाना दूर आसमान  की उंचाईयों में 

और रच देना इतिहास  ...


अक्सर  दुआओं में कहता है यह मन 

थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये 

 एक दूजे शुभचिंतक बन जाये 

ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन  

फिर क्यों ना पुष्पों सा जीवन बिताएं हम 

फलदार वृक्ष बन जायें हम नदियों का जल बन जायें हम .. 

आंगन की शोभा बन बागों की रौनक बढायें हम 

हवाओं में घुल- मिल सुगन्धित संसार कर जायें हम

अक्सर दुआओं में मागता है यह मन 

खुशियों से मालामाल रहे सबका जीवन  

आप भी मुस्कराये हम भी मुस्करायें 

बागों में फिर  से बहार  आये 

जीने की अदा सबको सिखाये 

बगीचों की शोभा बन हर एक के चेहरे 

पर रौनक ले आये हम..

खुश रहें आप और हम 

सफर पर हैं हम ना जाने कब जाना हो मगर  

जब तक है जीवन कुछ जीवन जीने की 

बातें कर लें आप और  हम 

सफर में यादों के कैनवास पर बेहतरीन 

सुन्दर आकर्षक चित्र  ही उतारें हम ..

बेहतरीन यादों का कारवां तैयार  करें हम 

अक्सर दुआओं में कहता है यह मन 

थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये 

बन एक दूजे शुभचिंतक बीत जाये जीवन 

सच भी है अद्भुत वसुन्धरा के सफर पर हैं आप और  हम 

ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन 

हवाओं में घुल- मिल सुगन्धित संसार कर जायें हम

दुआओं में कहता है यह मन 

बागों में फिर  से बहार  आये 

जीने की अदा सबको सिखाये 

बगीचों की शोभा बन हर एक के चेहरे 

पर रौनक ले आये हम

बस सार्थक हों दुआएं किसी के मुस्कराने की वजह  बन जायें हम ..

अक्सर दुआओं मे कहता है यह मन 


 

 जीत का बिगुल बजा 

हार का श्रृंगार कर
हार एक त्यौहार 
जीत का आगाज है 
जश्न का ऐलान है 
हौसलों की उड़ान है 

दीप जो भीतर छिपा 
संकल्प से उसको जला
धैर्य रख दृढ़ विश्वास रख
उम्मीद का दीपक जला ।

आंधियों का शोर है 
तूफान की उठापटक 
मत अटक मत भटक 
वक्त यह भी टल जायेगा 
परिक्षाओं का दौर‌ 
भागने की होड़ है‌ 
तू भाग मत सम्भल कर चल 
मंजिल थोड़ी दूर है 
हर रात की होती 
अवश्य भोर है‌   

सफर पर है तू सफर ‌‌‌‌कर
सफर का मजा ले मगर 
धूप हो या सहर 
सम्भल तू पर चल 


हार की ना बात कर 
चल उठ हो खड़ा 
हार का श्रृंगार कर
हार एक त्यौहार 
जीत का उद्घोष कर 
हार है सबक तेरा 
हार से तू सीख ले 
जीत से तू प्रीत कर 

 


मैं साहित्य की बातें करती हूं।

साहित्य यानि सा + हित जो सबके हित में हो

साहित्य एक फलदार वृक्ष की भांति आने वाले समाज को कविता. कहानी लेखन आदि के माध्यम से प्रेरित करता रहता है

मेरे लेखन से किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है तो मेरा लिखना सार्थक है, मेरे लेखन से कोई प्रेरित होता है तो मेरा लिखना सार्थक है... 

लिखना. मेरा शौक ही नहीं मेरा जुनून है मेरे लेखन से किसी एक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है तो मेरा लिखना सार्थक है.. 

यूं ही बेवजह मुस्कराया करो माहौल को खुशनुमा बनाया करो

जिन्दगी आपकी है. इसे ना बेवजह उलझनों में उलझाया करो

शिकवे - शिकायतों में ना वक्त जाया करो .. यू ही बेवजह मुस्कुराया करो....

सबसे ज्यादा हम बचपन में मुस्कराते हैं, फिक्र का नाम नहीं सपने आसमान की ऊचाईयां

बचपन की बादशाही भी कमाल थी ,


फिक्र का नाम नहीं ,सपने आसमान की ऊचाईयां छूते थे ...

बचपन में अपने भी जहाज, हवा में उङते थे ,

अपनी भी कश्तियां पानी में चलती थीं ...

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