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Showing posts from August, 2024

भारतीय व्यंजन

भारतीय व्यंजनों का अद्भुत आधार  सुपाच्य, सेहत के साथ..  जी भर जी लो जिन्दगी पानी - पूरी सी खट्टी-मीठी जिन्दगी मुंह से उतरा स्वाद का खजाना  जीभ ने जाना,कहा यूं ही साथ निभाना इडली, साम्भर, डोसा, दाल भाटी लगे  वाह भई वाह लगे चोखा ही चोखा..  गुलाब जामुन की मिठास रसगुल्ले ने ली तराश.. मीठी सी आस जीभ ने कहा तुम रहना पास-पास  चटपटी चटनी पकौड़े, समोसे में जो लिपटी  जुबान बोली.. तुम हो बड़ चचटपटी..  भारतीय व्यंजन का खजाना..  सुपाच्य, दाल भात, तरकारी बुझाती उदर  क्षुधा की आस, सेहत भी निभाती साथ  करारी पापड़ी पर पड़ चटपटी चटनी  दही ने निभाया साथ - जीभ ने कहा  वाह भई वाह क्या स्वाद..  व्यंजनों का भरा खजाना  भारतीय लस्सी,और छाछ  सेहत के संग स्वाद मक्की की रोटी सरसों का साग  आलू गोभी के करारे पराठों में मक्खन का स्वाद  सेहत से भरपूर सुपाच्य स्वाद ही स्वाद..  शुद्ध - शाकाहारी ताजे भोजन की व्यवस्था प्रतिदिन पाकशाला में पकता सेहत का खजाना  भारतीयों ने सदा बेहतरीन को ही अपनाना जाना... भारतीय भोजन भरपूर सेहत के संग निभाते स्वाद का साथ... 

संग सखियों के ठहाकों में

बहुत अंतराल के बाद  संग सखियों के ठहाकों में   जीवन को जीवंत देखा  खुशियों की फुलझडीयां को चेहरे पर खिलते देखा  उम्र की परतों को पीछे हटते देखा  दिलों की जिंदादिली को जवां होते देखा  बिन त्यौहार के एक नया  त्यौहार बनते देखा...  यादों के गुलदस्ते में अनगिनत  खूबसूरत पुष्प जो छिपे थे  सुस्त अवस्था में फिर से खिलते देखा।  यादों की ठहाकों की मीठी गठरी  खुलते देखा...   

रक्षा का बंधन

रक्षाबंधन  यानि की रक्षा का बंधन  यह बंधन है रक्षा का-- भाई - बहन  के प्रेम का.. विश्वास का  प्रेम, प्यार में अपनत्व का मीठे एहसास का..  कुछ खट्टी-मीठी शरारतों का  लड़कपन की बातों का  कोई किसी से कमतर नहीं..  फिर भी एहसास प्रेम और समर्पण सही  रिश्तों के बंधन में पक्के दिलों के बंधन हैं  बंधन की खूबसूरती से ऊपर भी  दिलों की पक्की डोर है...  वही तो भाई - बहन के रिश्ते की मीठी डोर है।   

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलसिता हमारा.. अद्भुत अतुलनीय दिव्य न्यारा  यह दृश्य लगता है बहुत ही प्यारा  आसमान की ऊचाईयों में जब लहराता है  भारत मां के स्वाभिमान में तिरंगा प्यारा.. देश के वीर जांबाज सैनिक जो रक्षा कवच हमारे  .. दुश्मन से से लड़ते मर जाते  कट जाते पर देश पर को सदा  सुहागन रखते।  सरहद पर तैनात वीर सिपाहियों को  शत-शत नमन हमारा  हमारे देश के रक्षाप्रहरी हमारे सैनिकों  की शान में अभिमान में कुछ शब्द कहना चाहूँगी  शोला हैं हम,चिंगारी हम आँधियों के वेग की हिस्सदारी हम सूर्य के समान हम में है तेज हिमखंडों की भांति शीतल भी हम , हिमालय सा विशाल सीना है ,अपना धीर भी हम ,वीर भी हम । मात्रभूमि की रक्षा प्रहरी हम।  आँधियों से लड़ना शौंक है अपना तूफानों में तैरती अपनी कश्तियाँ ,। मात्रभूमि है ,माँ के जैसी । माँ की ममता है ,कवच हमारी जो शून्य डिग्री के तापमान में रहकर भी चलती रहती है सांसें हमारी । मात्रभूमि के विरोध में जो एक आवाज भी उठ जाये तो माफ़ नहीं होगी गद्दारी ।।देश की रक्षा है, अपनी जिम्मेदारी । हनुमत थप्पा सी साँसे हमारी । वीर भगत सिंह,मंगल पा

स्वतंत्रता दिवस

आज"स्वतंत्रता दिवस"  के   शुभ अवसर पर फिजाओं में खुशियों की लहर है वातावरण में मनमोहक सी महक है अम्बर में आजाद परिंदों की चहक है प्रतीत होता सब और सहज है आज वादियों में केसर की महक है प्रतीत होता सब और माहौल सुन्दर ,सरस,सरल,और सुगम है सकारात्मक सोच और निस्वार्थ मोहब्बत से फिजाओं में चुहुं और सब शुभ मंगलकारी है बगीचों में गुलमोहर से  खिला-खिला चमन है आकाश की ऊंचाइयों में भारत माता की शान में  विजय पताका फहराता तिरंगा गर्व से गुन-गुना रहा भारत मेरी माता मेरा देश मेरा अभिमान है ।

मन के मोती

मैं जानती हूं....  उसको लिख पाना मुश्किल है जिसने मुझे लिखा है। फिर भी चाह जागी है, मन में..  मैं उस पर कुछ तो लिखूं  इससे पहले कि मैं,उस पर कुछ लिखूं - - मैं शब्द बुन भी नहीं पाती वो मुझ पर कुछ नया  लिख देता है...    वो मेरे चेहरे पर खुशी बनकर मुस्कराता है  वो मेरे लबों पर गीत बनकर आ ही जाता है  मैं उसको गुनगुनाना चाहती हूं  गीत खुशी के गाना चाहती हूं।  मैं जानती हूं.. वो मेरे भावों में है  मेरे विचारों में है  वो मेरे चेहरे की हर खुशी मे है  मेरी सफलताओं के हर कदम में है  उसके ही आशीषों से, दुआओं से  उन्नति है मेरी.. आज जो कुछ भी हूँ मेरे ऊपर उसका ही साया है. वो मेरा हमसाया जिसने हर  परिस्थिति में मेरा साथ निभाया है। 

तीज का त्यौहार खुशियों की सौगात

.  पक्षियों के चहकने की आवाज   खनकती चूड़ियों का आगाज   सुहागनों के हाथों में रचती पवित्र    मेहंदी की सौगात आओ सखियों     झूमे नाचें गाएं आया है हरियाली तीज का त्यौहार      **सावन का मौसम आया संग अपने सुख-समृद्धि लाया वर्षा की फुहारों से धरती का जल अभिषेक जब होता है प्रकृति प्रफुल्लित हरी-भरी हो जाती है वृक्षों की डालियां अपनी बाहें फैलाती हैं झूला झूलन को सखियों को बुलाएं प्रकृति संग सखियां भी सोलह श्रृंगार करती हैं वृक्षों की ओट में बैठ कोयल भी मीठा राग सुनाती है समस्त वातावरण संगीतमय हो जाता है चूड़ियों की खनक मन को लुभाती है हरियाली तीज को देवी पार्वती ने भी सोलह श्रृंगार और कठिन उपवास कर शिव को प्रसन्न किया था उस दिन से हरियाली तीज की शुभ बेला पर सुहागनें उपवास नियम करती हैं वृक्षों पर झूलों की पींगे जब चड़ती हैं आसमान की ऊंचाइयों में सखियां झूल-झूल कर हंसती है धरती झूमती है प्रकृति निखरती है पक्षीयों की सुमधुर ध्वनियों से सावन में प्रकृति समृद्ध और संगीतमय हो जाती है**

मैं किसी की आंखों में खुशी बनकर चमकूं

मैं रहूं या ना रहूं, मेरी आंखे रह जायें  मेरी आंखे दुनियां देखती रहें  मैं ना सही मेरी आंखे अमर रहें  किसी की आंखों में खुशी बनकर चमकूं  कितने बेहतरीन होगें वो पल जब यह  कारवां चलेगा...  किसी के नयनों में ज्योति बनकर चमकूं  यह मेरा सौभाग्य हो गया,मेरा अहहोभाग्य हो गया।   सौभाग्यशाली हैं,जिनके मन में देने के भाव हैं  भाग्यवान हैं, दुनियां के सबसे अमीर इंसान हैं वो जो किसी को कुछ भी देते हैं।  आप किसी का दिल ना दुखायें, किसी को अपनी मुस्कराहट का दान दें... किसी भूखे को भोजन दें किसी को कुछ ऐसा हुनर सिखा दें कि वह अपना जीवन अच्छे से चला सके... किसी के आगे हाथ फैलाने की बजाए... किसी को देने के काबिल बन सके... आज मैं आपको जागरूक करने आयी हूँ... अंगदान, महादान के बारे में... अंग दान यानि महादान... आप सब जानते हैं, यह शरीर नश्वर है.. एक ना एक दिन हर किसी को इस दुनियाँ से जाना है, और फिर उसके बाद यह शरीर किसी काम का नहीं.. तो फिर क्यों ना हमारे तन के राख हो जाने से पहले.. अपने अंगों का दान दें दें.. जिससे कई जरूरतमंद जीवित इंसानों को जीवन दान मिल जायेगा.. और हम किसी ना किसी रूप में दूसरे के तन