Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2024

हिन्दी संस्कृति है..

हिंदी मात्र भाषा ही नहीं... हिंदी संस्कृति है...  इतिहास है... हिंदी इतिहास की वह स्वर्णिम भाषा है जिसमें अनेक महान वेद ग्रंथो के ज्ञान का भण्डार संग्रहित है ।  अपनी मातृ भाषा को छोड़कर किसी अन्य भाषा को अपनाना स्वयं का एवम अपने माता - पिता  के अपमान जैसा हैं । जिस भाषा को बोलकर सर्वप्रथम मैंने अपने भावों को प्रकट किया उस उस मातृ भाषा को मेरा शत-शत नमन । जिस प्रकार हमें जन्म देने वाली माता पूजनीय होती है उसी तरह अपनी मातृ भूमि अपनी मातृ भाषा भी पूजनीय होनी चाहिए । मातृ भाषा का सम्मान ,यानि मां का सम्मान मातृ भूमि का सम्मान ।  मां तो मां होती ,और मां सिर्फ एक ही होती है ,बाकी सब मां जैसी हो सकती है। ऐसे ही मातृ भाषा भी एक ही होती है। अपनी मातृ भाषा को छोड़कर किसी अन्य भाषा की ऊंगली पकड़ना ,मतलब बैसाखियों का सहारा लेना स्वयं को अपंग बनना । अपनी मातृ भाषा हिन्दी अनमोल है ,अद्वितीय है ,जीतना पुरातन इतिहास हिन्दी भाषा का उतना किसी अन्य भाषा का नहीं । अपनी भाषा को अपना गौरव समझते हुए उसके साथ चलिए इतिहास गवाह है भारतीय संस्कृति का लोहा विश्व में सदियों से अपना गौरवान्वित इतिहास बनाता आया है

मम्मी तुम क्या ही करती हो

मम्मी तुम क्या ही करती हो  दिन भर इधर से उधर घूमती रहती हो  जाने क्या ठीक करती रहती हो..  रहने दिया करो जो सामान जहाँ पड़ा हो..  जिसे जरूरत होगी खुद ढूढ लेगा...  तुम हर रोज सामान को वैसे ही सम्भाल कर   रख देती हो... मम्मी तुम्हें गुस्सा नहीं आता?  अपना फर्ज कह सब कुछ सह लेती हो..  मम्मी तुम क्यों इतनी  चिंता करती हो..?  घर का कोई सदस्य ढंग  से खाना ना खाये तो तुम उदास हो जाती हो..  अगले दिन उसका मनपसंद खाना बना देती हो..  बच्चों की परवरिश में अपना सुख-चैन भी भुला  देती  हो.. उन्हें पढाती हो.. पल-पल उनकी हर  क्रिया पर पैनी नजर रख उनका सही मार्गदर्शन करती हो.. उन्हें ज्ञान की बातें सिखा आदर्श की  कहानियां सुना उनका मानसिक विकास करती हो..  सुबह -सुबह उठकर  अपनी सेहत का वास्ता देकर  बाहर टहलने जाती हो.. टहलती कम दोस्तों के संग गप्पे ही ज्यादा लड़ाती हो... . सबकी पंसद का ध्यान रखकर  एक डोर बेल पर दूध वाला..  दूसरी पर सब्जी वाला, तीसरी पर गाड़ी धोने वाला  चौथी पर कूड़े वाला, पांचवी पर माली..  कभी कोई मिलने वाला कभी कोई पडोसी  डोर बेल पर दरवाजा खोलते-खोलते  भाग-दौड़ ही कर लेती हो..  बड़ी समझद