मेहरबानी मांगनी है, तो परमात्मा प्रेम से मांगों
परमात्मा के आशीर्वाद की मांगों.. उसी की मेहर से
ही है यह धरती,यह आसमां....
मेहरबानीयों का मंजर, उसकी अथाह है
प्रकृति बिना किसी भेदभाव के सबको दे रही है।
हम तो बस रोते रह गये, सामने दरिया था
फिर भी प्यासे रह गये।
मेहरबानी तो स्वयं पर स्वयं की करनी है,
विवेक से जीवन की गुत्थियां सुलझानी है।
मेहरबानी ही तो उसकी है,की हम सक्षम हैं,
हम सवंचछ हैं, हम बुद्धि, बल, विवेक से भरपूर हैं
दिया ऊपर वाले ने जी भर के दिया है,
हमें लेना ही नहीं आया तो वो क्या करे।।
थोङा प्रयास करना है, समक्ष खजाने भरे पड़े हैं,
उपयोग करने की विधि सीखनी है, वो सदा से ही
मेहरबान था, मेहरबान रहेगा, उसकी मेहरबानीयों
का सिलसिला सदा यूं ही चलता रहेगा।
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