Skip to main content

स्वावलंबन

Good morning to all respect personalities judes & my dear friends  

देना है कुछ उपहार कुछ नायाब  मुझे इससे बेहतर  कुछ  ना समझ  आया ..उपहार  में शुभकामनाओं सहित  अपनी मुस्कान  दे रही हूं .. स्वीकार  है ..

साधारण हूं, इसीलिए  असाधारण हूं ...साधारण  समझ हल्के में मत लेना.. भीतर  एक आग लिए  बैठी हूं मैं नदिया की बहती जलधारा हूं ..

अपने ही हाथों लिखनी अपनी तकदीर  सुनहरी है 

स्वयं का स्वयं पर विश्वास जरुरी है 

चलो उठो ..

स्वावलंबन की करो तैयारी .. 

वक्त यही है, वक्त सही है . स्वयं की पहचान  स्वयं की रक्षा,  स्वयं का उत्तरदायित्व है ..अब लक्ष्य तुम्हारा स्वावलंबन का है बनना अमिट सितारा ...

विद्योतमा हैं हम ,संघर्षरत हैं हम ,कर्मठ हैं हम अनुशासित हैं हम..

स्वावलंबन का गुण भी है हममें ..स्वावलंबी बनना हक है हमारा ..

नारी कह कर.. ना- री ..बस अब और नहीं सुनना 

ध्रुव, एकलव्य, प्रह्लाद आदि महापुरुष भी परवरिश हैं हमारी 

प्रतिभा पाटिल ,दौपदी मुरमुर..ने स्वावलंबन से सच कर दी राज योग की कहानी   ..एक एक नारी  समाज  पर भारी ....

किरन मजूमदार, फाल्गुनी नायर, वाणी काला स्वावलंबन  का सितारा .. हमने ही पुरुष  समाज  को आगे बढाया बनाकर अपना साया ..  छत्रछाया का बढता अंहकार .. बस अब और  नहीं ..नहीं मंजूर  गुलामी किसी की ..

नहीं रहना  हमें अब आश्रित .. स्वयं लिखेंगे  अपनी तकदीर  सुनहरी . ...स्वावलंबन  की करो तैयारी ..


नारी नहीं तुम कमतर .. तुमने ही जने ही वीर शिवाजी ,राणा  .. वक्त यही है, स्वयं की पहचान  स्वयं की रक्षा,  स्वयं का उत्तरदायित्व है ..अब लक्ष्य तुम्हारा स्वावलंबन का है  बनना अमिट सितारा ...

स्वयं का स्वयं पर विश्वास  जरुरी है 

अपने ही हुनर से लिखनी अपनी तकदीर  सुनहरी है 

चलो उठो अब देर ना करो अपने ही हुनर  से रचना है तुम्हें स्वावलंबन  का नया इतिहास  ...

आवश्यक है स्वयं का स्वयं पर विश्वास  .. 

   स्वावलंबन  का कर आगाज  ...

अंतरात्मा की यही पुकार सुन पुकार स्वावलंबन  पर है सबका अधिकार  स्वावलंबन  ही है ..प्रगति का आधार  परतंत्रता की बेटियां तोड़ स्वतंत्र

ता से जीने का कर आगाज  ....

  

Have a nice day every one ...





Comments

Popular posts from this blog

खोज मन में उठते भावों की

भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

खेल बस तू खेल

   """"खेल तू बस खेल  हार भी जीत होगी  जब तुम तन्मयता से खेलोगे" .... खेल में खेल रहे हैं सब  खेल - खेल में खूब तमाशा  छूमंतर  हुई निराशा  मन में जागती एक नई आशा  आशा जिसकी नहीं कोई  भाषा  खेल- खेल में बढता है सौहार्द   आगे की ओर बढते कदमों का एहसास   गिर के फिर उठने की उम्मीद   सब एक दूजे को देते हैं दीद  मन में भर  उत्साह   अपना बेहतर देने की जिज्ञासा  जिसका लगा दांव वो आगे आया  प्रथम ,द्वितीय एक परम्परा जो खेला आगे बढा वो बस जीता  फिर  भी कहती हूं ना कोई  हारा ना कोई  जीता सब विजयी जो आगे बढ़कर  खेले  उम्मीदों को लगाये पंख मन में भरी नव ऊर्जा  प्रोत्साहन की चढी ऊंचाईयां  जीवन यात्रा है बस खेल का नाम  दांव - पेंच जीने के सीखो  जीवन जीना भी एक कला है  माना की उलझा - उलझा सा है सब जिसने उलझन को सुलझाया  जीवन  जीना तो उसी को आया  खेल-खेल में खेल रहे हैं सब  ना कोई हारा ना कोई जीता  विजयी हुआ वो जोआगे बढकर खेला.. मक्सद है जीवन को खेल की भांति जीते रहो   माना की सुख- दुख ,उतार-चढ़ाव का होगा  आना - जाना  ..वही तो है हर  मोङ को पार   कर जाना हंसते मुस्कराते ,गुनगुना

श्रीराम अयोध्या धाम आये

युगो - युगों के बाद हैं आये श्रीराम अयोध्या धाम हैं आये  अयोध्या के राजा राम, रामायण के सीताराम  भक्तों के श्री भगवान  स्वागत में पलके बिछाओ, बंदनवार सजाओ  रंगोली सुन्दर बनाओ, पुष्पों की वर्षा करवाओ.  आरती का थाल सजाओ अनगिन  दीप मन मंदिर जलाओ...दिवाली हंस -हंस मनाओ...  श्रीराम नाम की माला  मानों अमृत का प्याला  राम नाम को जपते जपते  हो गया दिल मतवाला....  एक वो ही है रखवाला  श्री राम सतयुग वाला...  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम  रामायण के श्री सीता राम  आलौकिक दिव्य निराले  सत्य धर्म पर चलने वाले  सूर्यवंश की धर्म पताका ऊंची लहराने वाले  मर्यादा  से जीवन जीने का  संदेशा देते श्री राम सतयुग वाले  प्राण जाये पर वचन ना जाये  अदभुद सीख सिखाते  मन, वचन, वाणी कर्म से  सत्य मार्ग ही बतलाते....  असत्य पर सत्य की जीत कराने वाले  नमन, नमन नतमस्तक हैं समस्त श्रद्धा वाले...