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Showing posts from December, 2024

नववर्ष दस्तक दे रहा है

नववर्ष दस्तक दे रहा है, यह वर्ष अलविदा कह रहा है।  कुछ सपने पूरे करके, कुछ सपनों की कमान  नये वर्ष को सौंप रहा है।  एक बार फिर से तीन सौ पैसेंठ दिन का कारवां चलेगा एक बार फिर नववर्ष धूम-धाम से मनेगा। एक बार फिर नये साल का चांद निकलेगा  पहली तारीख से नववर्ष की पूर्णिमा लगेगी  चांद सोलह कला सम्पूर्ण होगा।  नये सपने उडान भरेगें  उम्मीदों की दुनियां मे प्रयासों का जोर होगा।  कई सपनों को उड़ान मिलेगी  कई सपने धरातल पर होंगें।  नयी उम्मीदों की दुनियां बसेगी, कई आवश्यक कामों पर मुहर लगेगी कई को नयी तारीखे मिलेगीं।  365 दिन का नया कारवां फिर से चलेगा  रंगों भरी होली होगी, दिवाली पर जगमग प्रकाश होगा... एक बार फिर 365 दिन का कारवां चलेगा। 

नववर्ष मंगलमय हो

365 दिन के सफर के लिए फिर से तैयार है   नया नवेला रुप लेकर 1जनवरी 2025 नये सफर का शानदार स्वागत करो। एक बार फिर से तीन सौ पैसेंठ दिन का कारवां चलेगा एक बार फिर नववर्ष धूम-धाम से मनेगा। एक बार फिर नये साल का चांद निकला है पहली तारीख से नववर्ष की पूर्णिमा लगी है चांद सोलह कला सम्पूर्ण है।  सफर को बेहतरीन बनाने की करो तैयारी - - नये साल  की नयी पुस्तक  आज  पहली तारीख  का  पहला पन्ना मनचाहे सुन्दर   आकर्षक रंग  ही भरना  सुख समृद्धि  से भरपूर  रहे  जीवन  का हर सपना .. नव वर्ष  हर्षित  चेहरे  नवीनता का संदेश  मन प्रफुल्लित शुभ परिवेश उम्मीदों की नयी राह  संयम,हौसलों और लगन से  नव वर्ष  को बनाना है विषेश  दुनियां मिसाल देकर  कहे  स्वयं के ही कर्म तो सपनों की उङान भरते हैं .. तू भर के तो देख..

वंशज

एक हैं सब एक हैं, लहू सबका एक है  रंग भेद हो भला आकार सबका एक सा  एक वृक्ष की शाखायें हम  टहनियाँ विकास है  वंशज हम एक के - - -  पुष्प उपजते प्यारे - प्यारे.. एक से बड़ते रहे  अनेक हम होते रहे...  एक की संतान हम फिर क्यों मतभेद हुये  जात-पात में फंस गये हम आपस में लहूलुहान हुये एकत्व से अनेकत्व बने जड़ें सभी की एक हैं  शाश्वत जन्म की कहानी, फिर क्यों उलझती जिन्दगानी, मन का पंछी सपनों की उड़ान भरने में व्यस्त रहा, एक दिन आ टिका धरती पर..  नजरें थम गयीं, मन रुक गया  वसुंधरा थी कह रही - - बोली धरती पर रुको हाल मेरा भी   लिखो, हाल मेरा बेहाल है  हालात देखो तो जरा सब लहूलुहान है  पपड़ियाँ है उतर रही, छीलती अब खाल है  सपनों के महल बनाता मनुष्य  किया मुझे बेहाल है   सपनों की उड़ान  नहीं -   धरती पर जीवन की सच्चाई लिखो  पेट सपनों से नहीं  भरते  मेहनत की बिबाई लिखो पेट की आग को दौड़ धूप तो लिखो  मेहनत की कशमकश लिखो धरती पर रहते हो   धरती के लोगों की बात करो....

देना सीखो

देखो इस दुनियां से कोई लेकर तो कुछ जा नहीं सकता - - - -  फिर क्यों ना देकर ही जाने की सोच बना लें - - - हम तो रहेगें नहीं - - हमारे बाद हमारा नाम - हमारे नाम से हुआ काम तो रह जायेगा.. कम से कम लोग कहेंगे उस शक्स ने यह किया था - - देखो वो तो इस दुनियां से चला गया - - लेकिन काम बहुत अच्छे कर गया - -  जोआज भी उसको याद किया जा रहा है।  मेरे मायने में तो सफल है ऐसा जीवन की आप किसी के काम आ सकें।   

ज्योति और प्रकाश

ज्योति जली, प्रकाश की उपस्थिति निश्चित थी  चहूं और उजाला छा गया  मैं ज्योति जलती रही - -  जल-जल के स्वाहा होती रही - -  ज्योति के भव्य प्रकाश से  सबके नेत्र चुंधयाने लगे  ज्योति थी, तो प्रकाश की जगमगाहट भी थी जगमगाहट में आकर्षण भी था  आकर्षण की कशिश में गुमनाम अंधेरों ने धीमे-धीमे दस्तक देनी प्रारम्भ कर दी  उजाले के आकर्षण में सब इस कदर व्यस्त थे कि, मन के अंधेरों ने कब दस्तक देनी प्रारम्भ कर दी की पता  ही नहीं चला - - जब तक ज्योति जलती  रही, जल-जल कर स्वाहा होती रही सब व्यस्त रहे जब बाती धुआं बनकर उडने लगी  सबकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया  ज्योति का दर्द सरेआम हो गया  सबके दिलों से आह! निकली नेत्रों से अश्रु बहने लगे  काले धुएं ने हवाओं में अपना घर कर लिया था  जब तक प्रकाश था, सब खुश थे  प्रकाश का दर्द किसी ने ना जाना जब प्रकाश का दर्द धुआं बनकर उड़ने लगा  तब सब उसे कोसने लगे - -  बताओ ये भी कोई बात हुई  जब तक हम जलते रहे सब खुश रहे  आज हमारी राख से धुआं क्या उठने लगा  सब हमें कोसने...

रोना बंद करें स्वयं को सक्षम बनाइए

  रोना बंद करें स्वयं को सक्षम बनाइए **       मेरे एक मित्र ने मुझे कहा कि मैं किसी की वजह से बहुत दुःखी हूं ।    मैंने उसके साथ कभी भी बुरा नहीं किया ,उसने मेरे साथ इतना बुरा क्यों किया ,मैंने उसका क्या बिगाड़ा था । उसने जो कुछ भी बुरा किया है ,ना उसका फ़ल उसे भगवान देगा ...........    एक पल को तो मैं अपने मित्र की बातों से भावुक हो गई ,बड़ा दुःख हो रहा था मुझे उसकी स्थिति देखकर ...... फिर मैंने सोचा एक तो यह पहले ही दुःखी है , मैं इसका दुःख कम करने की बजाय बढ़ाने का काम करूं ,नहीं -नहीं यह ठीक नहीं होगा ...........    मैं अपने मित्र की हर बात बड़े ध्यान से सुन रही थी,वो इसलिए नहीं की मैं उससे सहमत हूं ,वरन इसलिए कि वो अपने दिल की सारी भड़ास निकाल दे और अपना दिल हल्का कर ले......    मेरा मित्र इतना दुःखी हो रहा था मानों...आगे कोई उपाय ही ना हो ....   इतना सारा शब्दों का जहर उसके मुंह से बातों के रूप में निकल रहा था , कि सारी धरती जहरीली हो जाए ,उसने मेरे साथ बुरा किया ,उसका भी कभी भला नहीं होगा उसने धोखे से हमसे सब कुछ छी...

अपने मालिक स्वयं बने

अपने मालिक स्वयं बने, स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें।  परिस्थितियां तो आयेंगी - जायेंगी, हमें अपनी मन की स्थिति को मजबूत बनाना है कि वो किसी भी परिस्थिति में डगमगायें नहीं।  अपने मालिक स्वयं बने,क्यों, कहाँ, किसलिए, इसने - उसने, ऐसे-वैसे से ऊपर उठिये...  किसी ने क्या कहा, उसने ऐसा क्यो कहा, वो ऐसा क्यों करते हैं...  कोई क्या करता है, क्यों करता है,हमें इससे ऊपर उठना है..  कोई कुछ भी करता है, हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.. वो करने वाले के कर्म... वो अपने कर्म से अपना भाग्य लिख रहा है।  हम क्यों किसी के कर्म के बारे मे सोच-सोचकर अपना आज खराब करें...  सोचता तो हर पल कोई ना कोई कुछ ना कुछ रहता ही है ....फिर क्यों ना अपनी सोच  को सही सोच की तरफ मोड़ें सामने ऊंचे पहाड़ या गहरी खाई आ जाये तो क्या आप रुक जायेगें .... आप ही को बदलना पढेगा अपनी सोच को अपनी राहों को ... नहीं बदलोगे तो जिन्दगी भर रोते रहो ...या फिर बदल लो अपने रास्तों को ..और बढ जाओ आगे की ओर...   **** जब-जब हमार...

ब्रह्म अस्त्र

सरलता मेरा आत्मबल है  सहज बन जीने दो मुझे - -  सरलता का अमृत रस मुझे पीने दो - -  निश्चिंत हूं,की  ब्रह्मास्त्र है मेरे पास अद्वितीय अदृश्य संरक्षित है मुझमें - सरल, सहज निर्मल स्वभाव है, मेरा-- भीतर दावानल भी है मेरे  अपनी शक्तियों का दिखावा कर प्रदर्शन नहीं  करना मुझे - - विश्वास है मुझे  मेरे ब्रह्म अस्त्रों पर-- सदा ले दावानल का आधार - -  क्यों करूं अत्याचार  सरलता मेरा आत्मबल है क्यों कर मुझे उकसाते हो  मेरे भीतर की आग को भड़काते हो  ब्रह्मअस्त्र भीतर है मेरे..  मुझे मेरी शक्तियों पर विश्वास है  सहज बन जीने दो मुझे  सरलता का अमृत रस मुझे पीने दो - -  पुष्प बन खिलने दो, आंगन को महकाने दो  कोमलता का आवरण ओढ धरा पर  प्रेम रस बहाने दो - - सरलतम् व्यवहार से  धरती का श्रृंगार करने दो-   कोमल भावनाओं की मिठास से  विनम्रता  का पाठ पढाने दो मुझे - -  ठेस दोगे तो मेरी भयंकर कराह से डगमगा जाओगे  शूल रक्षक हैं मेरे - - संरक्षण भी है मेरे -  दावानल को ना उकसाओ  सरलता...

भारत में हर मौसम एक त्यौहार है

  भारत में हर मौसम एक त्यौहार है जाडों में खिलती धूप मानों सुखमय संसार है अदरक वाली चाय का संग,हरी इलायची की  खूशबू ए बहार है,हंसी-ठहाकों,गप-शप से  खिलखिलाता घर संसार है।  मूँगफली -गजक रेवड़ी का लगता दरबार है -  हरी साग, गाजर मूली, मटर  गाजर के हलवे की मिठास से लबलबाता  सेहत और स्वाद है,   पकौडों के संग हरी चटनी का रंग -  गर्मी, सर्दी, बरसात, बंसती फुहार है  कडाके की सर्दी, गर्म, मुलायम कपड़ों के गुदगुदे एहसास में, कहीं कड़कती ठंड में जलती अलाव का आधार है ठंड में व्यंजनों की भरमार है - गाजर-गोभी, मूली का खट्टा मीठा आचार, बढाता खान-पान का  स्वाद है मक्की की रोटी, सरसों का साग लस्सी भी क्या बात है, पराठों ने सदा से मक्खन से निभाया साथ है।  खुशक त्वचा पर चिकनाहट का मुलायम हाथ बनाता चेहरे को चमकदार है - - सेहत का साथी बनने में सर्दी का मौसम बड़ा ववफादार है। गुनगुनानी धूप में व्यायाम, चहलकदमी करना भी अच्छी सेहत का साथ है।