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Showing posts from December, 2024

अपने मालिक स्वयं बने

अपने मालिक स्वयं बने, स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें।  परिस्थितियां तो आयेंगी - जायेंगी, हमें अपनी मन की स्थिति को मजबूत बनाना है कि वो किसी भी परिस्थिति में डगमगायें नहीं।  अपने मालिक स्वयं बने,क्यों, कहाँ, किसलिए, इसने - उसने, ऐसे-वैसे से ऊपर उठिये...  किसी ने क्या कहा, उसने ऐसा क्यो कहा, वो ऐसा क्यों करते हैं...  कोई क्या करता है, क्यों करता है,हमें इससे ऊपर उठना है..  कोई कुछ भी करता है, हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.. वो करने वाले के कर्म... वो अपने कर्म से अपना भाग्य लिख रहा है।  हम क्यों किसी के कर्म के बारे मे सोच-सोचकर अपना आज खराब करें...  सोचता तो हर पल कोई ना कोई कुछ ना कुछ रहता ही है ....फिर क्यों ना अपनी सोच  को सही सोच की तरफ मोड़ें सामने ऊंचे पहाड़ या गहरी खाई आ जाये तो क्या आप रुक जायेगें .... आप ही को बदलना पढेगा अपनी सोच को अपनी राहों को ... नहीं बदलोगे तो जिन्दगी भर रोते रहो ...या फिर बदल लो अपने रास्तों को ..और बढ जाओ आगे की ओर...   **** जब-जब हमार...

ब्रह्म अस्त्र

सरलता मेरा आत्मबल है  सहज बन जीने दो मुझे - -  सरलता का अमृत रस मुझे पीने दो - -  निश्चिंत हूं,की  ब्रह्मास्त्र है मेरे पास अद्वितीय अदृश्य संरक्षित है मुझमें - सरल, सहज निर्मल स्वभाव है, मेरा-- भीतर दावानल भी है मेरे  अपनी शक्तियों का दिखावा कर प्रदर्शन नहीं  करना मुझे - - विश्वास है मुझे  मेरे ब्रह्म अस्त्रों पर-- सदा ले दावानल का आधार - -  क्यों करूं अत्याचार  सरलता मेरा आत्मबल है क्यों कर मुझे उकसाते हो  मेरे भीतर की आग को भड़काते हो  ब्रह्मअस्त्र भीतर है मेरे..  मुझे मेरी शक्तियों पर विश्वास है  सहज बन जीने दो मुझे  सरलता का अमृत रस मुझे पीने दो - -  पुष्प बन खिलने दो, आंगन को महकाने दो  कोमलता का आवरण ओढ धरा पर  प्रेम रस बहाने दो - - सरलतम् व्यवहार से  धरती का श्रृंगार करने दो-   कोमल भावनाओं की मिठास से  विनम्रता  का पाठ पढाने दो मुझे - -  ठेस दोगे तो मेरी भयंकर कराह से डगमगा जाओगे  शूल रक्षक हैं मेरे - - संरक्षण भी है मेरे -  दावानल को ना उकसाओ  सरलता...

भारत में हर मौसम एक त्यौहार है

  भारत में हर मौसम एक त्यौहार है जाडों में खिलती धूप मानों सुखमय संसार है अदरक वाली का संग,हरी इलायची की  खूशबू ए बहार है,हंसी-ठहाकों,गप-शप से  खिलखिलाता घर संसार है।  मूँगफली -गजक रेवड़ी का लगता दरबार है -  हरी साग, गाजर मूली, मटर  गाजर के हलवे की मिठास से लबलबाता  सेहत और स्वाद है,   पकौडों के संग हरी चटनी का रंग -  गर्मी, सर्दी, बरसात, बंसती फुहार है  कडाके की सर्दी, गर्म, मुलायम कपड़ों के गुदगुदे एहसास में, कहीं कड़कती ठंड में जलती अलाव का आधार है ठंड में व्यंजनों की भरमार है - गाजर-गोभी, मूली का खट्टा मीठा आचार, बढाता खान-पान का  स्वाद है मक्की की रोटी, सरसों का साग लस्सी भी क्या बात है, पराठों ने सदा से मक्खन से निभाया साथ है।  खुशक त्वचा पर चिकनाहट का मुलायम हाथ बनाता चेहरे को चमकदार है - - सेहत का साथी बनने में सर्दी का मौसम बड़ा ववफादार है। गुनगुनानी धूप में व्यायाम, चहलकदमी करना भी अच्छी सेहत का साथ है।