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Showing posts from 2025

यादें बिन बुलायी मेहमान होती हैं

भूलने की आदत है अक्सर मेरी  पर कुछ यादें भूलने पर भी याद  रह जाती हैं - - क्या इत्तेफाक है  जो याद रखना चाहता हूं वो याद  नहीं रहता,जो याद नहीं रखना चाहता  वो हमेशा याद रहता है।  यादें बिन बुलाये मेहमान की तरह अक्सर दस्तक दे जाती हैं - - -  दबे पांव वो मेरे घर में चली आती है  आंगन में वो हवा के झोंकें सी बिखर जाती है।  फिर इतराकर खूशबू ए बहार बन ठहर जाती है।  वो ना होकर भी अपने होने का एहसास दिलाती है।  अपनी यादों को ना मुझसे जुदा होने देती है  उसकी यादों से मेरे सांसों की गति चलती है।  मैं निकल जाता हूँ, दूर कहीं दिल बहलाने को  दबे पांव वो मेरे पीछे चली आती है,    मेरी यादें ही मेरी हमसफर बनकर   मेरा साथ सदा निभाती हैं।    दिल बहल जाता है, बीत यादों पर मुस्करा लेता हूं  वो भी क्या दिन थे, सोच खुश हो जाता हूँ 

राधा प्रेम कृष्ण कर्तव्य

सुनों री सखियों - सुनों री सखियों - - आंखें मूंदों तो बुझो पहेली - -  एक गोपी फट से बोली- - क्यों कर हमें उकसाती हो - - जो हिय में है - - क्यों ना फट से बताती हो - - गोपी - - बोली, बताती हूँ - बताती हूँ - हिय की पीड़ा जाताती हूं। नटखट है- वो बड़ा ही नटखट - - पहुंच गया आज फिर पनघट.. मैं भरती थी - यमुना से गागार.. मारी कंकडीया गगरी फोडी.. चुनरिया झीनी हो गयी गीली.. मैं भी हुई पानी-पानी - - घाघरा चोली बंसती पीली - - गालों पर छा गयी लाली-- आठ बरस का नटखट कान्हा - - सारा नन्द गांव उसका दीवाना - -  माखनचोर,,नन्द किशोर - - - मनमोहन  बड़ा ही चितचोर  गोपियों का प्यारा कान्हा - -   कृष्ण प्रेम में राधा ही कान्हा - - कान्हा ही राधा  सांय काल यमुना के तीरे  तिरछी कमरिया,पीला पटका  सिर मोर मुकुट भी अटका - -  बंशीधर जब साजे अधरों पर बंशी - -  हिय प्रेम का सागर - - सागर से भर -भर गागर अधरों पर बाजे - - मधुर ध्वनि राग रागिनी गोपियां सुध-बुध भूल सब भागे --- पायल मधुर साज बाजे, धेनु पद-चाप ढोलक की थाप- एकत्रित नंदगाव यमुना के तीरे..  कान्हा ही र...

नववर्ष

एक जनवरी नववर्ष प्रारम्भ  बारह मास बाधे मन में आस तीस - इकत्तीस दिन का मास हर दिन उज्जवल रख विश्वास  नव प्रयासो का नव आधार  उम्मीदों से रचा-बसा संसार  प्रयासों के विभिन्न प्रकार  सही दिशा, सटीक विचार  साकारात्मकता के उत्तम विचार  सद्भावनाओं भरा व्यवहार  स्व की रक्षा प्रथम आधार  ना हो कोई अत्याचार  स्व कल्याण संग जन कल्याण