शिक्षक जीवन वरदान, अनमोल रत्न मान अक्षर- अक्षर समझाते ज्ञान विज्ञान, शिष्य बनाये बुद्धिमान शिक्षक समाज की नींव, मानों तन की रीढ तोङे अंधविश्वास रूढ़ीवादिता की जंजीर ... शिक्षक भूमिका सर्वोत्तम, कर्म यह पूजनीय शिष्य बनते अतुलनीय.... शिक्षक भेद भाव से ऊपर ,तराशे शिष्य गोपनीय शिक्षक द्वारा प्रेरक कहानियाँ ,प्रसंग कहावते बनते विद्यार्थियों के लिए बनती प्रेरणा स्रोत .. शिक्षक अज्ञान का अन्धकार दूर कर ,ज्ञान का प्रकाश फैलाता । समाज प्रगर्ति की सीढ़ियाँ चढ़ उन्नति के शिखर पर पहुंचता। जब प्रकाश की किरणे चहुँ और फैलती , तब समाज का उद्धार होता है । बिन शिक्षक सब कुछ निर्रथक, भ्रष्ट,निर्जीव ,पशु सामान । शिक्षक की भूमिका सर्वश्रेष्ठ ,सर्वोत्तम , नव ,नूतन ,नवीन निर्माता सुव्यवस्तिथ, सुसंस्कृत ,समाज संस्थापक। बाल्यकाल में मात ,पिता शिक्षक, शिक्षक बिना सब निरर्थक सब व्यर्थ। शिक्षक नए -नए अंकुरों में शुभ संस्कारों ,शिष्टाचार व् तकनीकी ज्ञान की खाद डालकर सुसंस्कृत सभ्य समाज की स्थापना करता ।।।।।।।